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Monday, February 17, 2020

कुण्डलिनी छंद संजय कौशिक 'विज्ञात'


कुण्डलिनी छंद 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 

यह छंद एक दोहा और अर्ध रोला के संयोग से निर्मित होता है। अर्थात 4 पंक्तियों में इस छंद को लिखा जाता है। मात्रा भार इसमें प्रथम 2 पंक्ति में 13,11 यति के साथ फिर अग्रिम 2 पंक्तियों 11,13 यति के साथ लिखा जाता है। दोहे का अंतिम चरण तीसरी पंक्ति में पुनः दोहराया जाना अनिवार्य होता है। साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होता है कि जिस शब्द से शुरू किया है उसी शब्द से अंत करना भी अनिवार्य होता है।साथ एक बात और ध्यान रहे कि इसके तुकांत क्रमागत 2 , 2 पंक्ति के समतुकांत रहेंगे। 

ध्यान रहे यह कुण्डलियाँ नहीं है। आप कुण्डलियाँ के शिल्प के लिए मेरी पहले की पोस्ट देख सकते हैं ।
कुंडलिनी 
दोहा + अर्ध रोला 

ध्यान रहे इस छंद को मापनी से नहीं लिखा जाता पर व्यवस्थित कलन लय के अवरोध समाप्त करने में सफल सिद्ध होते हैं 
22 22 212, 22 22 21
22 22 212, 22 22 21 
22 22 21, 12/21 2 22 22
22 22 21, 12/21 2 22 22

आइये इसे उदाहरण से देखते और समझते हैं ....

कुंडलिनी 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

सावन भादों में पड़े, रिमझिम नित्य फुहार।
गौरी गीतों में करे, अपनी विरह पुकार॥ 
अपनी विरह पुकार, मिले साजन मन भावन। 
बाहर बरसे बून्द, आग भीतर दे सावन॥ 


भारत में अभियान नित, चला रहे हैं लोग। 
सीख सिखाते योग हैं, यही मिटाये रोग॥ 
यही मिटाये रोग, सभी को प्राप्त महारत।
सब हों लोग निरोग, तभी चमकेगा भारत॥


टूटी खटिया में पड़े, चारों वर्ण उदास। 
बिन पाए की खाट ये, केवल मेरे पास॥ 
केवल मेरे पास, कहें सब ऐसी बूटी। 
तोड़े को दे जोड़, जुड़ी फिर दिखती टूटी॥ 


खूंटी के जो लाभ हैं, समझें कब परिवार। 
कितना भी सामान हो, टांगो वो तैयार॥ 
टांगो वो तैयार, नहीं टपके ज्यूँ टूंटी। 
ले लेती सब भार, हमारे घर में खूंटी॥ 


चोटी भी गुणवान है, देती ये संदेश। 
तीन लटा में गूंथ दो, अपना ये परिवेश॥ 
अपना ये परिवेश, सभ्यता संस्कृति घोटी। 
मानव के आदर्श, दिखाती है ये चोटी॥

संजय कौशिक 'विज्ञात'

33 comments:

  1. कुण्डलिनी छंद की सुंदर जानकारी के साथ लाजवाब उदाहरण भी 👌👌👌 सभी एक से बढ़कर एक 👏👏👏 सादर नमन 🙏🙏🙏

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  2. अत्यंत प्रभाशाली

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  3. बहुत खूबसूरत।

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  4. बहुत सुंदर 👏👏👏👏👏👏👍👍👏👏एक से बढ़कर एक
    आशा शुक्ला🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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  5. वाह बेहतरीन प्रस्तुति, बढ़िया जानकारी

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  6. वाह बहुत खूब, विशिष्ट की विशेषता बतलाती पंक्तियाँ वाकई विशेष
    लता सिन्हा ज्योतिर्मय

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  7. वाह वाह जी खूब

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  8. विभिन्न प्रसंग पर बोधगम्य कुंडलिनी।सराहनीय।

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  9. हूं बहुत ही सुन्दर आदरणीय आपकी कुंडलियां छंद और लय बद्द भी बहुत ही सुन्दर प्रभावशाली

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  10. बहुत ही सुन्दर आदरणीय कुंडलियां छंद और लय बद्द भी जानकारी के साथ साथ प्रभावशाली भी बहुत बढ़िया

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  11. बहुत सुन्दर कुंडलियां छंद आदरणीय ।उत्तम जानकारी ,सुन्दर प्रस्तुति 👌👌👌

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  12. बेहतरीन कुंडलियां छंद
    आ.सरजी शुभकामनाएं 🙏

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  13. वाह वाह बहुत खूब संदेश देती सृजन

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  14. वाह बहुत सुन्दर विधान सहित रचना । सीखने में भी सभी के लिए मददगार साबित हो रही है ।

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  15. बहुत सुंदर कुंडलिनी छंदों की रचना।

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  16. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 फरवरी 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  17. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब।

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  18. अद्भुत! विस्तृत जानकारी के साथ सुंदर शिल्प सृजन ।

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  19. बहुत सुन्दर जानकारी साझा की आपने आदरणीय 👏👏👏👏और हर कुंडलिनी एक से बढ़कर एक👌👌👌👌👌

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  20. आज कुंडली को कुछ-कुछ समझा

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  21. उत्कृष्ट सृजन

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  22. बहुत सुन्दर कुंडलिया छंद
    गौरी शब्द को गोरी से बदलने पर विचार करें।

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