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Monday, February 17, 2020

नवगीत स्मृति-पटल संजय कौशिक 'विज्ञात'


नवगीत 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 


मापनी 14/14


स्मृति पटल पर चित्र छाये,
और आहट सी हुई जब।
दृश्य हिय-प्रतिबिम्ब देखे,
लड़खड़ाहट-सी हुई जब।

1. 
एक झरना बह निकलता,
फिर दृगों के उस पटल से।
भूलकर बादल ठिकाना, 
तुंग पर बैठे अटल से। 
जो निरन्तर हैं बरसते,
गर्जना के बिन यहाँ पर।
स्वेद ठहरा दिख रहा है 
बह रहा कुछ फिर कहाँ पर।

फिर मचलती-सी नदी में,
झनझनाहट सी हुई जब।
स्मृति पटल पर चित्र छाये,
और आहट सी हुई जब।

2
तोड़ बंधन धार लहरें,
मौन को कुछ त्यागती-सी।
कर अचंभित तट प्रलय के,
कुछ झरोखे झाँकती-सी।
रोकती उन्माद कैसे,
जो भँवर ले भागती-सी।
रागमय अनुराग लक्षित,
और अन्तस् लागती सी।

दोहराती बात सारी,
गड़गड़ाहट सी हुई जब।
स्मृति पटल पर चित्र छाये,
और आहट सी हुई जब॥

3
संग्रहित छवि देखती थी,
आज दृग के सामने कुछ। 
मूँद लेती आँख अपनी, 
चित्र को वो थामने कुछ।
वो थकी सी लग रही थी, 
जो जलाई काम ने कुछ।
फिर विरह की आग भड़की, 
कब सुनी इस राम ने कुछ। 

आज भी वर्षों पुरानी,
धड़धड़ाहट सी हुई जब।
स्मृति पटल पर चित्र छाये,
और आहट सी हुई जब।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

22 comments:

  1. बहुत खूबसूरत भावप्रवण नवगीत।

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  2. बहुत ही शानदार नवगीत ....लाजवाब शब्द चयन और अप्रतीम भाव ....बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत सृजन की 💐💐💐💐 सादर नमन 🙏🙏🙏

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌👌

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  4. एक झरना बह निकलता वाह
    अति उत्तम अभिव्यक्ति

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  5. अति उत्तम सर जी हार्दिक बधाई

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  6. सुर,लय और मधुर भावो का संगम साहित्यिक सरिता में हुआ है।अद्भुत और मधुरतम काव्य👌👌🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌺🌹🌺
    आशा शुक्ला
    🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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  7. वाह बेहतरीन रचना बहुत खुबसूरत

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  8. अति उत्तम भाव युक्त नवगीत ! हार्दिक बधाई

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  9. बेहतरीन नवगीत
    आ.सर जी शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻

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  11. वाह वाह आद. अति सुन्दर

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  13. विरासत की तुलना आज के सन्दर्भ में "विज्ञात" की लेखनी से उद्गार अति उत्तम। सादर बधाई।

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  14. बहुत शानदार गीत

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  15. बह रहा है शब्द निर्झर
    भावना अभिव्यक्त करता
    ले सरलता संग सहजता
    रागिनी के रंग भरता

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