●नवगीत●
■◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆■
*मुखड़ा/पूरक पंक्ति~16/14*
*अंतरा~16/14*
षड्यंत्रों का दौर चला है,
केवल व्यर्थ दिखावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।
1
देख तने की खोखर में भी,
पंछी-रैन बसेरा है।
तिमिर करे कुछ रौनक जिनमें,
उनका होता डेरा है।
यही काल की टिक टिक कहती,
समय-समय का फेरा है।
व्यर्थ फूलता मानव देखो,
करता जो मैं ! मेरा !! है।
अंतस् पीड़ा बाहर फूटे,
बहती बनकर लावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।
2
तपती धरती रेत तपी है,
तपिश कहाँ है कम बोलो,
मधुर शहद-सी मीठी वाणी,
अधरों से सरगम बोलो।
दावानल ज्यूँ क्रोध-अग्नि है,
भस्म खुशी, दे गम बोलो,
भटक रहा कस्तूरी मन यूँ,
हिरण बना है बम बोलो।
दृष्टि-पटल मिलने को आतुर,
करता बहुत छलावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।
3
उलट बहाव हवा का देखा,
चले नदी झरने ऐसे।
क्षीर सिंधु जब खड़ा दुग्ध बन,
लड़ते कुएँ कहो कैसे।
भांति-भांति की व्याप्त भ्रांतियाँ,
भ्रमित डगर थी कुछ जैसे।
तोड़ मिला कब इन बातों का,
सोच रहा है मन वैसे।
हिय की धड़कन ठहर करे फिर,
कुछ चलने का दावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
@vigyatkikalam
लाजवाब!! अप्रतिम रचना 👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनंत जी
Deleteकमल किशोर दुबे
ReplyDeleteवाह! समसामयिक परिस्थितियों पर मार्गदर्शन करती, लावणी छन्द में सृजित शानदार नवगीत।
आत्मीय आभार कमल किशोर दुबे जी
Deleteकमल किशोर दुबे
ReplyDeleteवाह! समसामयिक परिस्थितियों पर मार्गदर्शन करती, लावणी छन्द में सृजित शानदार नवगीत।
देख तने की खोखर में भी
ReplyDeleteपंछी-रैन बसेरा है
तिमिर करे कुछ रौनक जिनमें
उनका होता डेरा है
यही काल की टिक टिक कहती
समय-समय का फेरा है
व्यर्थ फूलता मानव देखो
करता जो मैं ! मेरा !! है
बेहद सार्थक और समसामयिक समस्याओं का चित्रण करता हुआ नवगीत।मानव के भ्रम,अहंकार और अनीतियों का यथार्थ चित्रण, प्रतीकों का सुंदर प्रयोग (लड़ते कुएँ, हिरण
बना बम आदि) अनुप्रास,उपमा आदि अलंकारों के साथ मुहावरों का सशक्त प्रयोग।शब्द-चयन अद्भुत।उत्कृष्ट रचना।
नमन आपकी लेखनी को 🙏🌷
आत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteबेहतरीन और लाजवाब सृजन
ReplyDeleteसमसामयिक समस्याओं का चित्रण
"अंतस् पीड़ा बाहर फूटे
बहती बनकर लावा जो
लक्ष्य साधना है वो कैसी
पाकर दे पछतावा जो "
✍️👏👏👏
आत्मीय आभार सुवासिता जी
Deleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय 👌👌👌
ReplyDeleteनिःशब्द करती लाजवाब अभिव्यक्ति ...बहुत बहुत बधाई इस शानदार सृजन की 💐💐💐💐
आत्मीय आभार विदुषी जी
Deleteवाह बेहतरीन रचना आदरणीय!
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुन्दर भाव प्रधान रचना सर जी
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका बोधन जी
Deleteअद्भुत भावों से सुसज्जित सुन्दर,समसामयिक नवगीत👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteवाह सुंदर शब्दों से सुसज्जित आपकी रचना अति उत्तम है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका राधेगोपाल जी
Deleteबहुत बढ़िया सर अति उत्तम सुन्दर शब्द संयोजन 👌👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नव गीत..शब्दों का समुचित संयोजन👌
ReplyDelete..लता सिन्हा ज्योतिर्मय
आत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteकहीं प्रतीक कहीं स्पष्ट बिंब सुंदर उपमाएं उपदेशात्मकता छंद बहुत सुंदर अभिनव भाषा शैली ।
ReplyDeleteअप्रतिम अभिराम।
आत्मीय आभार कुसुम कोठारी जी
Deleteवाह वाह सरजी
ReplyDeleteआत्मीय आभार मुकेश जी
Deleteबहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Delete"विज्ञात जी" की अवतरित इस रचना में सामाजिक परिदृश्य का अद्भुत मानवीकरण परिलक्षित होता है।
ReplyDelete*बधाई, बधाई, बधाई*
आत्मीय आभार आपका प्रधान जी
Deleteआपकी क़लम में तो मां शारदा उतर आई हैं,
ReplyDeleteऔर बहुत सुंदर मैसेज दिया है आपने जीजू 😊 इस रचना के ज़रिए
आभार छुटकी
Deleteबहुत ही बेहतरीन और यथार्थ भाव लिए हुए आदरणीय बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम जी
Deleteभावपूर्ण बेहतरीन नवगीत आ.सर जी बधाई व शुभकामनाएं 🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Deleteबहुत ही बेहतरीन रचना आदरणीय 👌👌💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनुराधा जी
DeleteNice sir ji 😍😍
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही बेहतरीन रचना आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार अर्चना जी
Deleteबहुत ही सुन्दर और शिक्षाप्रद ।
ReplyDeleteआत्मीय आभार डॉ. सरला जी
Deleteबहुत सुन्दर ..अलौकिक रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार शिवा जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२० -०१-२०२० ) को "बेनाम रिश्ते "(चर्चा अंक -३५८६) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सराहनीय ... सराहनीय ... आत्मीय आभार अनिता जी
Deleteबहुत ही सार्थक एवं सामायिक मुद्दों पर सुंदर नवगीत आपने लिखा.. भाषा शैली में आपकी कमाल के पकड़ है बहुत प्रभावित हुई आपकी इस रचना से धन्यवाद🙏🙏
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनु जी
Deleteअति सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको
ReplyDeleteआत्मीय आभार कामिनी जी
Deleteबहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर, उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अतिया जी
Deleteबहुत ही सुंदर नवगीत
ReplyDeleteबधाई
आत्मीय आभार ज्योति खरे जी
Deleteबहुत सुंदर सृजन
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