इन्दवशा छंद संजय कौशिक 'विज्ञात'
इंदवशा छंद वार्णिक छंद है। इस छंद का शिल्प बहुत ही सरल है 12 वर्ण होते हैं । इस छंद में एक गुरु को दो लघु करके लिखने की अनुमति नहीं है। दो चरण तुकांत सम तुकांत रहेंगे। आइये इसे मापनी और गण के के माध्यम से समझते हैं।
विधान~
मापनी- 221 221 121 212
गण- तगण तगण जगण रगण
12वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत
इंदवशा छंद आधारित गीत
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मुखड़ा
रिश्ते व नाते व्यवहार चाहिये।
आना निभाना बस प्यार चाहिये॥
1 अन्तरा
आह्वान कीजे मनुहार कीजिये।
आओ सभी आज पुकार कीजिये॥
आधार ये जीवन सार चाहिये ....
2
जो मांगते मित्र उधार दीजिये।
पूंजी खरी ब्याज नकार दीजिये॥
साथी रहो यूँ हरबार चाहिये ....
3
रिश्ते निभाने सब जानते नहीं।
स्वीकारते भूल व मानते नहीं॥
देखो खुशी के दिन चार चाहिये ...
4
लोभी निभाता कब प्रेम साथ में।
ढोंगी दिखाये कब देख हाथ में॥
मौका मिले तो प्रतिकार चाहिये ...
5
ये त्याग देखो बलिदान माँगते।
सच्चा व अच्छा बस ज्ञान माँगते॥
ज्ञानी गुणी सा परिवार चाहिये ...
6
यूँ शादियों में बस शोर देखलो।
रूठे मनायें सब ओर देखलो॥
कोई कहे तो गणकार चाहिए ...
7
छोटे बड़े भी सब प्यार से रहें।
'विज्ञात' ये मान रहे सभी कहें॥
ये छोड़ना आज विकार चाहिये ...
संजय कौशिक 'विज्ञात'
एक नए छंद की जानकारी देने के लिए बहुत बहुत आभार ....यह अपने आप में अनोखी रचना है बहुत कम लोगों ने लिखा है यह छंद ...सत्य कथन और सार्थक संदेश 👌👌👌 सुंदर सृजन की ढेर सारी बधाई 💐💐💐
ReplyDeleteवाह वाह रोज़ नये छंद की हमें जानकारी हो रही बहुत बढ़िया बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteरिश्ते निभाने सब जानते नहीं।
ReplyDeleteस्वीकारते भूल व मानते नहीं॥
देखो खुशी के दिन चार चाहिये ...
वाह नया छंद की विस्तृत जानकारी सरल शब्दों में संदेश देती सृजन आप की लेखनी और आप को शत शत प्रणाम आदरणीय
क्या बात है । बहुत ही सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteहर छंद की इतनी सूक्ष्मतम जानकारी आप उपलब्ध करा देते हैं इतने सहज रूप से यह वाकई प्रशंसनीय है।बहुत ही सुन्दर भाव व छंद।नमन आपकी लेखनी को🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteइस छंद की जानकारी मुझे नहीं थी इसकी लय की जानकारी मिलती तो मैं भी प्रयास करता इसपर
ReplyDeleteसुंदर सृजन के लिए बधाई जी
बहुत सुंदर रचना सर।
ReplyDeleteअदबुद रचना सर्व श्रेष्ठ सृजन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअति सुन्दर सर जी
ReplyDeleteनये छंद की जानकारी मिली सर जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 👌👌👌👌
वाह एक और नए छंद की जानकारी देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय 🙏 बेहतरीन रचना 👌👌
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 12 फरवरी 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ...उत्कृष्ट सृजन ।
सभ्य समाज को सार्थक सन्देश इस रचना में है।अशेष बधाई।
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुंदर
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