नवगीत
जीवन-मरण
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 16/16
संदेह नहीं कुछ भी बाकी,
सब खुशियों का हुआ हरण था।
दिखने को जीवित हूँ अब तक,
मेरा वर्षों पूर्व मरण था।
1
आँधियों से लड़ लेता मैं,
खेल रहा था तूफानों से।
शीतलहर विपरीत हवा से,
जलती लू के सब तानों से।
उसी कष्ट की सरगम बनकर,
महक उठी मेरे गानों से।
राग मल्हारी तुमने गाया,
फिर बरसे कंटक दानों से।
हर्ष पूर्ण रहना जीवन भर,
उत्तम तेरा निराकरण था।
दिखने को जीवित हूँ अब तक,
मेरा वर्षों पूर्व मरण था।
2
नभ द्युति गिरके फिर उठ जाती,
वही पराक्रम दिखता तेरा।
आलिंगनबद्ध हुई हिय से,
पर्णकुटी में नहीं बसेरा।
लहर गगन सी फिर गायब थी,
ढूंढ न पाये फिर वो डेरा।
विडम्बनाएं बड़ी भाग्य की,
भाल रेख भी चमके मेरा।
व्यथित कथित अध्याय तिरस्कृत,
जिसका अंतिम यही चरण था
दिखने को जीवित हूँ अब तक,
मेरा वर्षों पूर्व मरण था।
3
आज अराजक तत्व बना जो,
किसके कारण कौन कहेगा।
पीर पर्वती सहके भीतर,
बनके झरना कौन बहेगा।
पलक फलक पर मेघ कहाँ तक,
देने कब तक साथ रहेगा।
उर्मि सिंधु की कहती दिखती,
कब तक कितना मौन सहेगा।
शंका करके मोड़ा था मुँह,
उस दिन टूटा प्रथम परण था॥
दिखने को जीवित हूँ अब तक,
मेरा वर्षों पूर्व मरण था।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
वाह वाह बहुत खूब 👌गजब अद्भुत 👏👏👏
ReplyDeleteआज अराजक तत्व बना जो, किसके कारण कौन कहेगा।
ReplyDeleteपीर पर्वती सहके भीतर, बनके झरना कौन बहेगा।।
वाह वाह बहुत खूब आदरणीय
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह बेहद खूबसूरत गीत 👌👌👌👌
ReplyDeleteशानदार आपका नवगीत बहुत सुन्दर बहुत मार्मिक आज अराजक तत्व बना जो.....
ReplyDeleteशानदार सर जी
ReplyDeleteनिःशब्द करती रचना। हर शब्द हर भाव इतना सटीक और मर्मस्पर्शी की मन खुद ब खुद रचना का समर्थन करने को विवश हो ...बेहद मार्मिक रचना 👌👌👌 नमन आपकी लेखनी को जो जब भी चलती है कुछ खास ही लिखती है 🙏🙏🙏
ReplyDeleteअतीत और अर्वाचीन मानव समाज का तुलनात्मक परिदृश्य दिव्य चिन्तन का द्योतक है। आज के समाज को यह सार्थक सन्देश पाथेय हो। "मंगलकामना"
ReplyDeleteशानदार सृजन
ReplyDeleteखूबसूरत नवगीत
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो।
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक और हृदयस्पर्शी रचना है आदरणीय 👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteवाहः
ReplyDeleteसुन्दरम
ReplyDeleteव्यथित कथित अध्याय तिरस्कृत,
ReplyDeleteजिसका अंतिम यही चरण था
दिखने को जीवित हूँ अब तक,
मेरा वर्षों पूर्व मरण था।
बहुत ही सुंदर, उत्कृष्ट रचना । बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ ।
अनुपम नवगीत सृजन
ReplyDeleteआ.सर जी शुभकामनाएं 🙏
सुन्दर
ReplyDeleteअति मार्मिक रचना
ReplyDeleteअति मार्मिक रचना ❤️💐🙏
ReplyDeleteअति मार्मिक चित्रण
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