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Thursday, February 6, 2020

नवगीत ●गुलाब● संजय कौशिक 'विज्ञात'





नवगीत 
गुलाब 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 

देख गुलाब खिला डाली पर, 
तितली कितनी दमक उठी।
लाल कपोल अधर रतनारे,
रक्तिम आभा चमक उठी।

1
बाग बहारों से सम्मोहित,
पंख मयूरा खोल रहे।
देख बौर जो टहनी लटके,
कोयल से कुछ बोल रहे। 
तीव्र अनेक स्वरों की लहरें, 
कवि सागर को तोल रहे। 
और रहस्य बहुत से देखे, 
मिश्री में रस घोल रहे। 

अंबर छोड़ धरा पर पसरी, 
इंद्रधनुष की रमक उठी।
देख गुलाब खिला डाली पर, 
तितली कितनी दमक उठी।

विकसित पुलकित उस यौवन पर, 
उपमाओं की झड़ी लगी।
कुंड भरा भावों से दौड़ा,
स्वर्णाभा जब जड़ी लगी। 
सुंदरता में रति से उत्तम, 
दूर परी भी खड़ी लगी।
चोर सुरभि पाटल अवलोकनि,
इन शब्दों से बड़ी लगी। 

सृजन किये गीतों से ज्यादा,
अलंकार की छमक उठी।
देख गुलाब खिला डाली पर, 
तितली कितनी दमक उठी। 

संजय कौशिक 'विज्ञात'

27 comments:

  1. बहुत ही शानदार नवगीत 👌👌👌 प्राकृतिक बिम्ब और श्रृंगार का अनोखा मिश्रण ....शब्द चयन तो हमेशा ही लाजवाब होता है ...आपकी हर रचना शानदार होती है। बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की 💐💐💐💐

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  2. प्रकृति के सौंदर्य से लबरेज,सुन्दर नवगीत 👌👌👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏👏

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  3. अति प्रशंसनीय नवगीत, कौशिक जी

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  4. शानदार प्रकृति चित्रण से सुसज्जित नवगीत

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  5. वाह वाह!! प्राकृतिक सौंदर्य को सुंदर शब्द दिया आपने। अद्भुत कविता।

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  6. बहुत ही सुन्दर आदरणीय प्रकृति पर आपकी यह रचना

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  7. सृजन किये गीतों से ज्यादा,
    अलंकार की छमक उठी।
    देख गुलाब खिला डाली पर,
    तितली कितनी दमक उठी।
    वाहहहहह अद्भुत सृजन 👌👌👌👌

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  8. अति सुंदर रचना।

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  9. देख अनेक स्वरों की लहरें,
    कवि सागर को तोल रहे।
    और रहस्य बहुत से देखे,
    मिश्री में रस घोल रहे।
    बहुत ही बेहतरीन सृजन

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  10. अति उत्तम रचना सर जी

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  11. वाह वाह वाह
    बहुत सुन्दर ।
    प्राकृतिक बिम्ब से सराबोर ये रचना खिल उठी
    उसी गुलाब की भाँति जिसे देखकर आपने यह रचना की होगी । अनुपम सृजन आदरणीय ।

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  12. बेहद खूबसूरत

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  13. आपकी हर रचना शानदार होती है।
    बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की


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  14. अच्छा प्रयास है

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  15. प्रकृति को उसके वास्तविक रपमे देख उसमें खो जाना और उसे उचित अलंकारों से जडना कठिनतम कार्य जिसमें आप सफल है। बहुत सुंदर नवगीत। बधाई 💐

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  16. अति सुन्दर प्रकृति चित्रण किया है आप ने। शब्द चयन एवं अलंकारों के प्रयोग से उत्कृष्ट नवगीत सृजन हेतु बहुत-बहुत बधाई।

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  17. बहुत ही जोरदार प्रकृति चित्रण सर जी

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  18. मधुमास की गीत,लय सुहावन।
    पढ़कर पाठक जन मन पावन।
    बधाई हो विज्ञात जी।

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  19. वाह वाह वाह जी खूब 👌👌👌☺️

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  20. अत्यंत उत्कृष्ट रचना

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  21. प्रकृति के छायांकन का भान कराती अनुपम कृति

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