copyright

Wednesday, February 5, 2020

नवगीत बाँसुरिया भी टूटी फूटी .. संजय कौशिक 'विज्ञात'


नवगीत 
मुखड़ा/पूरक पंक्ति~16/16
अंतरा~16/14

कष्ट विरह के अपने पन की,
बाँसुरिया भी टूटी-फूटी ...

1
घोर घटा छाई दिखती थी,
कहाँ बरस के चली गई।
शुष्क आँख में नमी बहुत है,
थमी हुई या टली गई।
एक हवा के झोंके की वो,
साथी बनकर छली गई।

व्यथित,परिष्कृत से इस मन की,
झांझरिया भी टूटी-फूटी ...
कष्ट विरह के अपने पन की,
बाँसुरिया भी टूटी-फूटी ...

2
तपिश लगे तो ठंडा माँगे,
ठंड माँगती पुनः तपिश।
किसकी कितनी कहनी- सुननी,
क्रोध-अग्नि पे  कहाँ दबिश।
यही परवरिश कहलाती है,
संस्कृति सीखें वासर-निश।

रोग भरे अनगिन इस तन की,
गागरिया भी टूटी-फूटी ...
कष्ट विरह के अपने पन की,
बाँसुरिया भी टूटी-फूटी ...

3
सोच धरा की लता,सुता भी,
स्वयं खड़ी निज पैरों पर।
झाड़-पेड़ पर चढ़ती फिर भी,
करे भरोसा गैरों पर।
पुलकित नव तरुणाई फँसती,
जाकर देखो कैरों पर।

मर्म-पर्श से विचलित छन की,
पंखुड़िया भी टूटी-फूटी ...
कष्ट विरह के अपने पन की,
बाँसुरिया भी टूटी-फूटी ...

संजय कौशिक 'विज्ञात'

@vigyatkikalam

33 comments:

  1. हूं बहुत सुन्दर बहुत प्यारी रचना आपकी

    ReplyDelete
  2. अति सुन्दर सर जी

    ReplyDelete
  3. आ.सर जी बेहतरीन नवगीत 🙏🏻

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी नवगीत ...मन की व्यथा सुनाती भाव भरी अभिव्यक्ति 👌👌👌....बहुत बहुत बधाई आदरणीय खूबसूरत सृजन की💐💐💐

    ReplyDelete
  5. अच्छा नवगीत बधाई आदरणीय संजय कौशिक सर ।

    ReplyDelete
  6. शब्दों का चयन प्रभावित करता है।
    उम्दा सृजन।प्रेरित करती रचना 👌👌

    ReplyDelete
  7. बेहतरीन सृजन
    बधाई

    ReplyDelete
  8. आत्मीय आभार अनिता जी
    सूचना के लिए पुनः आभार

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुंदर मौलिक लेखन, मनमुग्ध हो गया। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय "विज्ञात" जी।

    ReplyDelete
  10. तपिश लगे तो ठंडा माँगे,
    ठंड माँगती पुनः तपिश।
    किसकी कितनी कहनी- सुननी,
    क्रोध-अग्नि पे कहाँ दबिश। ... कौश‍िक जी ने अद्भुत कथा कह दी इस कव‍िता के माध्यम से ...वाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. आत्मीय आभार अलकनंदा सिंह जी
      आपकी सराहना प्रेरणादायक सिद्ध मंत्र से कम नहीं पुनः आभार

      Delete
  11. बहुत सुंदर सरस भाव, सारगर्भित सृजन ।
    अप्रतिम नव गीत।

    ReplyDelete
  12. बहुत ही लाजवाब नवगीत
    वाह!!!

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर सृजन

    ReplyDelete
  14. बाँसुरिया,गागरिया,पंखुड़िया,झांझरिया .....
    *टूटी फूटी*
    अप्रतिम सृजन‌

    ReplyDelete