छंद मनोरम
शौर्यता की लिख कहानी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
विधान - मनोरम छंद एक मात्रिक छंद है इसके 4 चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 14 मात्राएँ होती हैं, आदि में 1 गुरु और अंत में 2 गुरु अनिवार्य होते हैं। 212 (रगण) या 122 (यगण) अनिवार्य है। 3-10 वीं मात्रा पर लघु 1 अनिवार्य है l प्रति दो चरण तुकांत संतुकांत रहेंगे, मापनी और गुरु लघु से समझते हैं इस छंद के शिल्प को
मापनी -
2122 2122
{रगण तगण गुरु गुरु}
🏆 वीर रस 🏆
मनोरम छंद आधारित गीत
2122 2122
सैनिकों की ले प्रधानी
काम आये कुछ जवानी
वीर योद्धा बन निशानी
शौर्यता की लिख कहानी
हौसले भी हिल न पाएं
देख तूफानी हवाएं
नाम तेरा ले दिशाएं
वीर तुझको ही बताएं
वे सुनाएं सब जुबानी
शौर्यता की लिख कहानी
ये तिरंगा झुक न पाए
रक्त की ऊर्जा बढ़ाए
दौड़ तू इसको उठाए
उच्च लहरें फिर जगाए
तू दिलाए याद नानी
शौर्यता की लिख कहानी
धैर्य कितना भी करो तुम
गोलियाँ अरि में भरो तुम
शत्रुओं से क्यों डरो तुम
मौत उनकी ही वरो तुम
मत मरो तुम बन रवानी
शौर्यता की लिख कहानी
पर्व राखी भूल जाओ
साहसी हो ये बताओ
पीठ रिपु को मत दिखाओ
मार जिंदा ही जलाओ
कौन तेरा आज सानी
शौर्यता की लिख कहानी
देख कौशिक रुक न जाना।
वादियों में है ठिकाना।
चूड़ियाँ उसकी बहाना।
जीत से रिश्ता निभाना।
तू सियाना वो सियानी
शौर्यता की लिख कहानी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
Nics sir ji 👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteसुशीला जोशी । 2फरवरी 2020
Deleteएक प्रयाण-गीत जैसी रचना जिसे पढ़ के पत्थर में भी जोश आ जाये । जिसे गाते गाते हाथ पांव और हृदय में गति भर जाए ।जिसे पढ़ कर स्वयं से ऊपर उठ कोई भी परोपकार में लग जाए । इस रचना के लेखक को कोटि कोटि नमन व बधाई । यह रचना कालजयी रचना कही जा सकती है ।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
मनोरम छंद में लिखी वीर रस से ओतप्रोत सैनिकों का मनोबल बढ़ाती आपकी ये रचना सैनिकों का मनोबल बढ़ाती है।उत्कृष्ट सृजन के लिए बधाई आदरणीय
ReplyDeleteअर्चना पाठक निरंतर जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteबहुत बढ़िया जोरदार
ReplyDeleteपूनम दुबे जी आत्मीय आभार
Deleteमनोरम छंद का वीर रस में बेहतरीन सृजन आ.सर जी
ReplyDeleteशुभकामनाएं 🙏
सविता बरई जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत ही शानदार सृजन... वाह...
ReplyDeleteवंदेमातरम आइडियल विद्यालय आपकाआत्मीय आभार
Deleteमनोरम छंद का वीर रस में बेहतरीन सृजन आ.सर जी
ReplyDeleteशुभकामनाएं 🙏
सविता बरई जी आत्मीय आभार
Deleteसर्वोत्तम उत्कृष्ट सृजन
ReplyDeleteशौर्य और पराक्रम को दर्शाता एक उत्प्रेरक गीत, बधाई हो आपको।
ReplyDeleteआत्मीय आभार प्रवीण त्रिपाठी जी
Deleteवाह अद्भुत शौर्य और पराक्रम के भाव लिए बहुत ही अद्भुत गीत, बेहतरीन 👌👌👌💐
ReplyDeleteअनुराधा चौहान जी आत्मीय आभार
Deleteओज पूर्ण रचना,शौर्य का उत्कृष्ट उदहारण। अशेष बधाई विज्ञात जी!
ReplyDeleteरामचंद्र प्रधान लोईंग जी आत्मीय आभार
Deleteअतीव सुंदर गीत !
ReplyDeleteअनपूर्णा जी आत्मीय आभार
Deleteशौर्यता की कहानी...कौशिक जी की जुबानी...
ReplyDeleteआत्मीय आभार मधुसिंधी जी
Deleteअद्भुत शौर्य गाथा सर जी।
ReplyDeleteआत्मीय आभार बोधन राम निषाद राज विनायक जी
Deleteआपकी लेखनी निःशब्द कर देती है ।
ReplyDeleteआआपके मार्गदर्शन से बहुत सीखा और सीख रहे हैं
प्रणाम गुरु जी
आत्मीय आभार अनिता सुधीर जी
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अकेला जी
Deleteपीठ रिपु को मत दिखाओ
ReplyDeleteमार जिंदा ही जलाओ
वाह वाह बहुत खूब बेहतरीन सृजन गुरु देव
आत्मीय आभार चमेली कुर्रे सुवासिता जी
Deleteसैनिकों की शोर्य गाथा ,उनकी हौसला अफजाई और उनको निस्वार्थ निर्लिप्त रहने का सुंदर संदेश लिए बहुत सुंदर मनोरम छंद की अनुपम रचना।
ReplyDeleteरचना के साथ छंद विधान की पूर्ण जानकारी आपकी हर प्रस्तुति को और भी विशिष्ट बना देती है।
अभिनव।
आत्मीय आभार कुसुम कोठारी जी
Deleteप्रेरणात्मक प्रतिक्रिया के लिए पुनः आत्मीय आभार
मनोरम छंद विधान की सुंदर जानकारी के साथ में वीर रस से भरपूर लाजवाब रचना 👌👌👌 सादर नमन 🙏🙏🙏
ReplyDeleteविदुषी जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत सुन्दर वीरता के भावों से भरी हुई कविता।नमन
ReplyDeleteआपकी रचना को सर।
आत्मीय आभार डॉ सरला सिंह स्निग्धा जी
Deleteपीठ रिपु को मत दिखाओ।
ReplyDeleteवाह अतिसुन्दर। वीर रस का रसास्वादन कराती कविता।
स्वधा रविन्द्र उत्कर्षिता जी आत्मीय आभार
Deleteप्रथम आगमन पर अभिनंदन
वाह लाजवाब सृजन!
ReplyDeleteआत्मीय आभार छगनलाल गर्ग जी
Deleteहमेशा की तरह .....उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteशिवा दरवेश जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत सुंदर सर जी
ReplyDeleteउमाकान्त टैगोर
टैगोर सहाब आत्मीय आभार
Deleteअति सुंदर
ReplyDeleteबीनू सेठ जी आत्मीय आभार
Deleteअत्यंत उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अतिया नूर जी
Deleteआत्मीय आभार
ReplyDeleteअद्भुत 👌👌👌👌👌👌👌शौर्य से भरपूर सुन्दर गेय छंद👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteवाह वाह वाह जी अद्भुत
ReplyDeleteमनोरम छंद का सुंदर निर्वाह करती आपकी रचना वीर रस और ओज गुण के सौंदर्य से युक्त है।शब्द चयन सटीक और सार्थक है।भाव अति उत्तम।मुहावरों का प्रयोग बहुत ही सुन्दर है। प्रभावशाली रचना के लिए बधाई आदरणीय 🙏🌷
ReplyDeleteउत्कृष्ट नव गीत आदरणीय
ReplyDeleteदुर्गम स्थितियों में अपने जज्बे को बनाए रखने वाले सैनिक के समर्थन में खड़ी दमदार रचना।
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