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Tuesday, March 24, 2020

नवगीत : चुभती खुशियाँ : संजय कौशिक 'विज्ञात'



नवगीत 
चुभती खुशियाँ 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 


मापनी~~ 14/14 

बंद आँखें ढूंढ लायें, 
स्वप्न वो आकर जगाता।
ये खुशी किसको गई चुभ, 
हर्ष भी कितना रुलाता॥

1
आज कण्टक क्षण प्रफुल्लित, 
और पुलकित वेदनाएं।
शूल उपवन में खिले से, 
पुष्प रज-कण में समाएं।
दीप आँधी को भुलाए, 
कर प्रकाशित जग दिखाता।

2
ये विरह शीतल लगा कुछ, 
कल्पना करती मिलन जब।
क्षण ठहर हिमखण्ड जैसा, 
श्वास सी जलती अगन तब।
वो समाहित सी सुगंधित, 
भावना बन खिलखिलाता।

3
लोहबानी तन बना यूँ, 
जो अधर छूते पिघलता।
या समर्पण मोम का था, 
स्पर्श चकमक ही निगलता।
बन हिमालय आज मिलता, 
उर्मियों को जो छकाता।

4
रागिनी का राग से फिर, 
और निष्कासन हुआ जब।
फिर भ्रमर ने गीत गाया, 
गुनगुना अन्तस् छुआ जब।
धुन मधुर डूबा खुआ जब, 
प्रेम के किस्से सुनाता।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

48 comments:

  1. लोहबानी तन
    उत्कृष्ट

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  2. वाह वाह एक अलग अंदाज में नवगीत हुआ है

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  3. अद्भुद कल्पनातीत!!
    जिस विषय पर एक पंक्ति आगे नहीं बढ़ पा रहे उस पर
    अद्वितीय सृजन ।
    वाह के सिवा कुछ नहीं।

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    1. हार्दिक आभार कुसुम कोठारी जी

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  4. गुनगुना अन्तस् छुआ जब।
    धुन मधुर डूबा खुआ जब

    बहुत सुन्दर👌
    लता सिन्हा ज्यतिर्मय

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  5. बहुत सुंदर नवगीत विरोधाभास पर आदरणीय बहुत खूब अति सुन्दर

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  6. अप्रतिम रचना सुन्दर प्रयोग नवबिंबों का

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  7. बहुत सुन्दर रचना सर जी

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  8. अनुपम नवगीत
    आ.सर जी शुभकामनाएं 🙏

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  9. वाहः दादा बेहतरीन

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  10. विरोधाभास अलंकार का खूबसूरत उदाहरण है आपका नवगीत।ढेर सारी बधाई इस शानदार सृजन की 💐💐💐💐

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  11. इस रचना में चित्र से ही भाव बोध हो रहा है। बन्द आँखें............।दिव्य भाव का परिचायक है। विज्ञात जी की परिकल्पना श्लाघनीय है।अशेष बधाई!!

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  12. अप्रतिम सृजन,,अनुपम बिम्ब सुंदर परिककल्पना से सज्ज नवगीत👌👌

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  13. रागिनी का राग से फिर,
    और निष्कासन हुआ जब।
    फिर भ्रमर ने गीत गाया,
    गुनगुना अन्तस् छुआ जब।
    धुन मधुर डूबा खुआ जब,
    प्रेम के किस्से सुनाता।

    वाह वाह बहुत खूब बेहतरीन सृजन गुरु देव
    नमन आपको और आप की लेखनी को

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  14. बहुत खूब लिखा है जनाब

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  15. उत्कृष्ट नवगीत।हार्दिक बधाई

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  16. अद्भुत सृजन आदरणीय 🙏🙏🙏

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  17. नि:शब्द...
    लाज़वाब सृजन आदरणीय सर
    सादर

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  18. बहुत सुन्दर।
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें।
    भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  19. सुन्दर रचना

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  20. शानदार विरोधाभास अलंकार का प्रयोग 👌👌👌👌👌👌बहुत सुन्दर आदरणीय 👏👏👏👏

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  21. वाह!!!
    उत्कृष्ट सृजन
    ,🙏🙏🙏

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  22. कोमल भाव को विरोधाभासी अंदाज में लिखा एक सुंदर गीत । बधाई स्वीकारें ।

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