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Sunday, March 15, 2020

नवगीत : विपरीत समय : संजय कौशिक 'विज्ञात'



नवगीत 
विपरीत समय 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 

मापनी ~~ 16/16

विपरीत समय की लहरों में,
आता हमको बहजाना है।
सिंधु लहर में कश्ती डोले,  
दे टक्कर आज बताना है।

1
ज्वार भले सागर का भारी, 
हमने ज्वारों को पाला है।
कश्ती में भी छिद्र बना है, 
जयचंदो का मुँह काला है।
साहस पृथ्वी जैसा मारक, 
गौरी जैसों को गाला है।
शब्द भेदते अस्त्र हमारे, 
लोहे का भारी भाला है।

शत्रु कहीं भी नहीं बचेगा, 
करले वो आज बहाना है।
विपरीत समय की लहरों में,
आता हमको बहजाना है।

2
राणा जैसी तलवारों को, 
जंग यहाँ क्यों सोच लिया है।
गिद्ध दृष्टि अवलोकित अम्बर, 
बिजली को भी नोच लिया है।
उद्वेलित बातों को देखा, 
देख वहाँ फिर पोच लिया है 
और हिमालय झण्डे गाड़े, 
नग को कर में बोच लिया है।

चीर अचल की छाती अब फिर, 
ऐसे लोहा मनवाना है।
विपरीत समय की लहरों में,
आता हमको बहजाना है।

3
हर बालक है शौर्य पुजारी, 
हर लड़की लक्ष्मी बाई है। 
शौर्य पताका हाथ उठाये, 
यह चंडिका महामाई है।
रक्तबीज को मार गिराये, 
ऐसी कोमल तरुणाई है।
आज समय के साथ बदलती, 
लेती मानो अँगड़ाई है।

चन्द्र धरा तक परचम लहरा, 
अब और कहाँ फहराना है।
विपरीत समय की लहरों में,
आता हमको बहजाना है।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

13 comments:

  1. सादर नमन 🙏🙏🙏

    विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का सार्थक संदेश देता बहुत ही खूबसूरत नवगीत।

    रक्तबीज को मार गिराये,
    ऐसी कोमल तरुणाई है।

    विरोधाभास अलंकार का सुंदर प्रयोग 👌👌👌
    बधाई और शुभकामनाएं नव सृजन की 💐💐💐💐

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  2. वाह अदभुत 👏👏👏👏

    डॉ़ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ

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  3. वाह बहुत सुंदर और सार्थक सृजन आदरणीय 👌👌

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  4. हर संभव असंभव हालातों से जूझने के लिए प्रेरित करती सुन्दर रचना आदरणीय सर👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌

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  5. सार्थक सुंदर सृजन की बधाई आदरणीय

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  6. विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बंधाती ओजपूर्ण रचना

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  7. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय
    सादर

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  8. प्रेरणादायक सृजन आदरणीय अति सुन्दर 👌👌👌

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  9. सुंदर सार्थक सृजन!आदरणीय!🙏

    ----अनिता सिंह'अनित्या'

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  10. अद्भुत अनुपम रचना👌👌👌👌

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