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Thursday, March 12, 2020

नवगीत यात्रा संजय कौशिक 'विज्ञात'




नवगीत 
यात्रा 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 

मापनी ~~14/14 

स्थाई 
पथिक को मिलता ठिकाना,
सतत यात्रा के सहारे।
चलें भूखे प्यास सहते,
नदी लहरों के इशारे॥ 

1
पखेरू फिर ढूंढते हैं,
बसेरा पल-पल कहाँ पर। 
कभी यात्रा पूर्ण दिखती, 
मगर वो छलती वहाँ पर।
चले धारा मीन बहती,
समझता आ मन यहाँ पर। 
जहाँ पर भी आज देखो,
झरोखे से दृश्य सारे।
पथिक को मिलता ठिकाना,
सतत यात्रा के सहारे।

2
तके अन्तस् मोर नाचे,
गरजते बादल दिखे तो 
तभी धुन दादुर सुनाये, 
जलद कुछ बूंदें लिखे तो। 
चमक जब जुगनू बिखेरे, 
अचल तक देखो शिखे तो ।
त्रिखे तो बढ़ते सदा हैं, 
महक मघुबन की पुकारे।
पथिक को मिलता ठिकाना,
सतत यात्रा के सहारे।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

36 comments:

  1. पखेरू फिर ढूंढते हैं,
    बसेरा पल-पल कहाँ पर।
    कभी यात्रा पूर्ण दिखती,
    मगर वो छलती वहाँ पर।
    बेहतरीन और लाजवाब सृजन गुरु देव नमन आप को और आप की लेखनी को

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  2. सतत यात्रा के सहारे👌👌👌👌👌👌
    वाहः वाहः वाहः वाहः

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  3. लक्ष्य हासिल करने के लिए चलना चाहिए। इस गीत के माध्यम से विकास पथ की ओर बढ़ने के लिए इंगित किया गया सन्देश अनुकरणीय है। सादर बधाई।

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  4. उत्तम रचना सर जी हार्दिक बधाई हो

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  5. सुख दुख जीवन का हिस्सा हैं पर निरंतर चलते रहना ही एक मात्र उपाय है मंजिल तक पहुंचने का इस बात से पूर्ण सहमत।।प्रकृतिक बिम्ब के माध्यम से सार्थक संदेश देता अनुपम नवगीत 👌👌👌 नमन आपकी लेखनी को जो नित्य नवीन सफल प्रयोग करती रहती है जिसका फायदा हम सबको प्राप्त होता रहता है 🙏🙏🙏 ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐

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  6. अति सुंदर एवं प्रशंसनीय रचना

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  7. बेहद खूबसूरत रचना 👌

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  8. शानदार भाव अभिव्यक्ति

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  9. शानदार पंक्तियां आदरणीय

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  10. हो कर्मपथ पर अग्रसर, बाधाओं को तू पार कर ,मंजिल मिल ही जाएगी ,बस निरंतर तू प्रयास कर
    बहुत सुन्दर, संदेश देता सृजन आदरणीय 👌👌👌

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  11. अतुलनीय नवगीत
    आ.सर जी शुभकामनाएं 🙏🙏

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  12. अतुलनीय नवगीत
    आ.सर जी शुभकामनाएं 🙏🙏

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  13. चमक जब जुगनू बिखेरे, अचल तक देखो शिखे तो ।त्रिखे तो बढ़ते सदा हैं, महक मघुबन की पुकारे। अद्भुत शब्द चयन और शानदार भाव👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌👌

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  14. अति सुंदर भावपूर्ण सृजन को नमन

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  15. एक और असाधारण रचना ।
    हमारी सोच से बहुत ऊपर ।
    शायद ही यहां तक छू भी पाएं।
    सादर।
    अनुपम सृजन।

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  16. बेहतरीन आदरणीय, अत्तिउत्तम।

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  17. अनुपम सृजन आदरणीय विज्ञात सर जी 🙏

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