गीत
मुरलिया
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बोल कहाँ हैं तान सुरीली
बोल मुरलिया बोल बता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
1
बाँसुरिया अवरुद्ध पड़ी है,
राधा जब से बिछड़ गई।
रूठा रूठा हर स्वर देखा,
सरगम तबसे पिछड़ गई।
गीत वृक्ष सब भूल गये से,
भूल गई धुन आज लता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
2
शुष्क नदी की अविरल धारा,
मेघ वहाँ से जल भरते।
चंदन से कुछ ब्याल लिपट कर,
फिर आहट से भी डरते।
पूछ रहे फिर प्रश्न अनेको,
उठते से फण आज पता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मुरलिया
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बोल कहाँ हैं तान सुरीली
बोल मुरलिया बोल बता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
1
बाँसुरिया अवरुद्ध पड़ी है,
राधा जब से बिछड़ गई।
रूठा रूठा हर स्वर देखा,
सरगम तबसे पिछड़ गई।
गीत वृक्ष सब भूल गये से,
भूल गई धुन आज लता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
2
शुष्क नदी की अविरल धारा,
मेघ वहाँ से जल भरते।
चंदन से कुछ ब्याल लिपट कर,
फिर आहट से भी डरते।
पूछ रहे फिर प्रश्न अनेको,
उठते से फण आज पता।
विस्मित कृष्ण अचंभित कहते,
व्याकुल हिय मत और सता।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
No comments:
Post a Comment