गीत
अपना ये गणतंत्र पुकारे
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 16/14
अपना ये गणतंत्र पुकारे
राष्ट्र सुरक्षित रखना है
नित्य खिले केसर क्यारी सा
सुगठित पुलकित रखना है।।
माली अपने मुखिया अपने
सेवक बन प्रण लेते हैं
निर्भय रखते जन-मन को जो
निर्भयता नित देते हैं
पुष्प लदे ये प्रान्त सरीखे
बाग सुगंधित रखना है।।
बाँट चुके पंद्रह टुकड़े से
टुकड़े करना बंद करो
रोग मिटा कर अब मजहब का
शांत स्वभावी भाव भरो
नेह बने बूटी संजीवन
इसको चर्चित रखना है।।
सोचो ये गणतंत्र सफल हो
एक अमिट लिख दे गाथा
विश्व हुआ नतमस्तक टेके
इसके चरणों में माथा
श्रेष्ठ बना सब देखें भारत
जग को विस्मित रखना है।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'