सरसी छंद / कबीर / समुंदर छंद
*◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆*
शिल्प एक चरण चौपाई + एक सम चरण दोहा 16+ 11= 27 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है 16,11 पर यति का स्थान रहता है। इस प्रकार से इस छंद में दो- दो पंक्ति तुकांत समतुकांत रहते हैं 16 वाले हिस्से को चौपाई की तरह निभाया जाता है जबकि 11 वाले हिस्से का अंत दोहा की तरह गुरु लघु होता है
27 मात्रा 16/11 अंत गाल गुरु लघु {21}
4 चरण क्रमागत प्रति 2 चरण समतुकांत
कर वीणा झंकार ..........
हंसवाहिनी मधुर करो यूँ, वीणा की झंकार।
वेदमयी सुर धार प्रकट हो, होकर हंस सवार॥
वीणा की झंकार हुई जब, प्रथम बजी थी तान।
वीणापाणि कृपा अक्षर पर, बनता छंद विधान॥
लय स्वर से जब होता गायन, ले चहुँ दिश आनंद।
निर्बाधित प्रवाह यति गति का, बने गायकी छंद॥
अदभुत शुद्ध शब्द उच्चारित, करे दया से मूक।
गूढ़ विधा लिखते सब अनपढ़, नहीं बने फिर चूक॥
बने वेद पाठी सब बालक, गूंजे नभ में छंद।
कण्ठ कण्ठ में असर तुम्हारा, कटें जगत के फंद॥
निर्मल स्वच्छ आचरण हो जब, करती मन में वास।
दिव्य ज्योति फिर प्रकट करे माँ, फैले तेज उजास॥
आह्वान करे तेरे साधक, सुनती सबकी टेर।
डिगे नहीं दिल उनका माता, करे न पल की देर॥
शरणागत है कौशिक द्वारे, लो माँ सेवक मान।
मांग रहा झोली फैला कर, दे दो विद्या दान॥
संजय कौशिक 'विज्ञात'
वाह!! अद्भुत सृजन। छंदों के खजाने से एक और छंद। अद्वितीय है आपकी लेखनी 👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनंत जी
Deleteउत्तम वंदना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनिता सुधीर जी
Deleteबहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteआत्मीय आभार बोधन जी
Deleteजय माँ शारदे।
ReplyDeleteसरसी छंद के विषय में बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी और माँ शारदा की स्तुति करती लाजवाब रचना 👌👌👌 माँ शारदा की कृपा सदैव आप पर बनी रहे और आपके माध्यम से हम सबका मार्गदर्शन करती रहे यही कामना ...आभार और नमन आदरणीय 🙏🙏🙏
ReplyDeleteआत्मीय आभार नीतू जी
Deleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार माटी जी
Deleteअति उत्तम आदरणीय 🙏🌷 सरसी छंद की अनमोल जानकारी के साथ माँ सरस्वती की महिमा का वर्णन करती रचना कवि हृदय के उद्गार अभिव्यक्त कर रही हूँ।सबके कल्याण के कामना भाव से भरी उत्कृष्ट रचना ,सुंदर शिल्प
ReplyDeleteशब्द चयन श्रेष्ठ,नमन आपकी लेखनी को।🙏🌷
आत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteसुंदर प्रोत्साहना, पुनः आभार
माँ शारदे को समर्पित एक भाव भरी अद्भुत वंदना👌👌👌👌👏👏👏👏👏
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteसुन्दर भाव माता शारदा के भजन
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम जी
Deleteबहुत खूब सर जी।
ReplyDeleteआत्मीय आभार अमित जी
Deleteबहुत ही सुन्दर शिक्षाप्रद एवं संग्रहणीय।
ReplyDeleteआत्मीय आभार डॉ. सरला जी
Deleteसरस्वती माता की बहुत सुंदर प्रार्थना आ.सर जी🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Deleteबहुत सुंदर आपकी सरस्वती वंदना आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम दुबे जी
Deleteबहुत सुंदर आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार उमाकांत जी
Deleteसाक्षात माँ सरस्वती की कृपा आप पर है कोई संदेह नहीं
ReplyDeleteनमन
आत्मीय आभार आपका
Deleteकोई टिप्पणी करने की क्षमता हम तो नहीं रखते, हमें पढ़ने को मिल रही हैं ऐसी रचनाएँ हमारा भाग्रयृ है
ReplyDeleteआभार छुटकी
Deleteभगवती भारती की अप्रतिम प्रतिमा को प्रत्यक्ष कराने जैसी "वाणी वन्दना" प्रशंसनीय है।
ReplyDeleteछन्द साधक विज्ञात जी! अशेष बधाई।
आत्मीय आभार प्रधान जी
Deleteसुंदर प्रोत्साहना, पुनः आभार
जिस पर माँ शारदे की कृपा हो ,वह यूँ शब्दों को सँजो सकता है। सुंदर सृजन
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteजिस पर माँ शारदे की कृपा हो ,वह यूँ शब्दों को सँजो सकता है। सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सरस्वती वंदना 🙏🙏
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत खूब अति सुंदर जानकारी के साथ उत्तम रचना आदरणीय ....👌👌💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार प्रजापति कैलाश सुमा जी
Deleteअति उत्तम
ReplyDeleteआत्मीय आभार अतिया जी
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