*रुद्राक्ष के प्रकार, लाभ, सावधानी और मंत्र*
एक मुखी रुद्राक्ष के, देव रुद्र भगवान।
सिंह राशि ग्रह सूर्य से, मिले दिव्य वरदान।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।
दो मुख जिस रुद्राक्ष के, ग्रहण करो दे शांति।
करें कृपा जब शिवशिवा, कर्क चंद्र दे कांति।।
मंत्र- ।। ॐ नम: ।।
तीन मुखी रुद्राक्ष से, मंगल पीड़ा अंत।
अग्नि देव रक्षा करें, धारण करते संत।।
मंत्र- ।। ॐ क्लीं नम: ।।
चार मुखी रुद्राक्ष से, दें बुध कृपा अपार।
मिले शक्ति ब्रह्मा कहें, लिखता रचनाकार।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।
पाँच मुखी रुद्राक्ष नित, दे आध्यात्मिक शक्ति।
देव बृहस्पति की कृपा, जन करता गुरु भक्ति।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।
छह मुख का रुद्राक्ष तो, भरे बुद्धि भण्डार।
कार्तिकेय भगवान का, शुक्र तुला आधार।।
मंत्र : ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।
सात मुखी रुद्राक्ष से, मिटते आर्थिक दोष।
माँ लक्ष्मी की हो कृपा, शांत वक्र शनि रोष।।
मंत्र- ।। ॐ हूं नम:।।
आठ मुखी रुद्राक्ष से, हो हर बाधा दूर।
गजमुख करते हैं कृपा, राहु न देखे घूर।।
मंत्र- ।। ॐ हूं नम:।।
नौ मुख का रुद्राक्ष यूँ, करे शक्ति संचार।
माँ दुर्गा रक्षक बने, केतु करे उद्धार।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।
दस मुख का रुद्राक्ष ये, हरे वास्तु के दोष।
देव विष्णु रक्षा करें, शांत सभी ग्रह रोष।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।
एकादश रुद्राक्ष मुख, बढ़े आत्मविश्वास।
मंगल से हनुमान जी, करें व्याधि का ह्रास।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।
द्वादश मुख रुद्राक्ष के, करें सफल हर कार्य।
हर्षित रहते सूर्य तब, करें इसे जब धार्य।।
मंत्र- ।। ॐ रों शों नम: ऊं नम:।।
तेरह मुख रुद्राक्ष है, आकर्षण का केंद्र।
तुला वृषभ के शुक्र भी, हर्षित देव महेंद्र।।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम:।।
चौदह मुख रुद्राक्ष दे, षष्ठम इंद्री ज्ञान।
मकर कुम्भ शनि कंठ है, पहनें शिव भगवान।।
मंत्र- ।। ॐ नम:।।
ये रुद्राक्ष गणेश का, गजमुख इसका रूप।
मिटे अशुभता केतु की, धारण करते भूप।।
मंत्र- ।। ॐ श्री गणेशाय नम:।।
गौरी शंकर नाम का, पहनें जो रुद्राक्ष।
वैवाहिक बाधा सभी, हरे चंद्र चित्राक्ष।।
मंत्र- ।। ॐ गौरी शंकराय नम:।।
रुद्राक्षों में श्रेष्ठ है, श्वेत रंग रुद्राक्ष।
रंगों का भी भेद ये, सुनो उन्हीं के साक्ष।।
ताम्र रंग मध्यम कहा, मध्यम से कम पीत।
श्याम रंग कम पीत से, ये मनकों की रीत।।
माला जप रुद्राक्ष का, देता मुक्ति त्रिताप।
कंठ अगर धारण किया, हर लेता सब पाप।।
अक्षमालिका उपनिषद्, कहते शंख प्रवाल।
स्वर्ण रजत रुद्राक्ष से, मध्यम चंदन माल।।
रक्तचाप मधुमेह को, हर लेता रुद्राक्ष।
मानव तन चुम्बक दिखे, तन विद्युत दे साक्ष।।
धारण कर रुद्राक्ष को, करना मत ये कार्य।
जाना नहीं श्मशान में, कान खोल सुन आर्य।।
भोजन मत कर तामसिक, मद्यपान दे त्याग।
अगर कंठ रुद्राक्ष है, बजा शुद्ध ही राग।।
शयन काल में मत पहन, कंठ कभी रुद्राक्ष।
स्नान ध्यान कर शुद्ध हो, पहन तभी ये आक्ष।।
पहनो मत रुद्राक्ष को, जन्मे जब नवजात।
स्थान वहाँ का त्याग दो, दिन हो चाहे रात।।
माला धारण कर विषम, एक तीन या पाँच।
सम संख्या देंगी जला, समझ भयंकर आँच।।
देना मत उपहार में, पहना जो रुद्राक्ष।
शक्ति तुहारे गात की, उपनिषदों के साक्ष।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'