गीतिका तथा युग्ल
संजय कौशिक 'विज्ञात'
युग्म ~ शे'र
दो पांक्तियों का समूह जैसे मुखड़ा।
गीतिका ~ विशेष हिन्दी - गजल
जिसमें उर्दू भाषा का प्रयोग न किया जाता हो।
प्रवाह ~ रवानी
काव्यमयी वह बहाव जो आत्ममुग्ध करता हो।
पद ~ मिसरा
एक पंक्ति।
पूर्व पद ~ मिसरा ऊला
युग्म की प्रथम पंक्ति को पूर्व पद कहा जाता है।
पूरक पद ~ मिसरा सानी
द्वितीय पंक्ति
युग्म (शे'र) की द्वितीय पंक्ति को पूरक पंक्ति कहा जाता है।
पदान्त ~ रदीफ़
यह समांत शब्द अथवा प्रथम युग्म/मुखड़ा की दोनो पंक्तियों के अंत में लिखा जाता है।
समान्त ~ काफिया
वह शब्द जो युग्म (शे'र) की प्रत्येक द्वितीय पंक्ति में पदान्त से पूर्व आता है।
मुखड़ा ~ मतला
गीतिका / हिन्दी ग़ज़ल का प्रथम युग्म (पहला शेर) जिसकी दोनों पंक्तियों में समांत और पदान्त (काफ़िया और रदीफ़) समान लिखे जाते हैं।
मनका ~ मक़ता
गीतिका / हिन्दी गजल का अंतिम युग्म/ शे'र जिसमें रचनाकार का उपनाम लिखा हुआ होता है।
मापनी ~ बह्र (मात्राओं का निश्चित क्रम)
छंद की वह निश्चित लय जिस पर गीतिका / हिन्दी गजल लिखी जाती है।
स्वरक ~ रुक्न
गण आदि की सूक्ष्म पद्धति के मुख्य घटक स्वरक अथवा स्वरक (रुक्न) कहा जाता है।
स्वरावली ~ अरकान
स्वरक का निश्चित अंतराल के पश्चात पुनः प्रयोग से निर्मित मापनी या स्वरक के बहुवचन को स्वरावली (अरकान) कहा जाता है
मात्रा भार ~ वज़्न
किसी शब्द के मात्रा क्रम (संख्या) को मात्रा भार कहा जाता है
कलन ~ तख्तीअ
मात्रा गणना की वह पद्धति जिसमें जो निर्णय करती है कि मात्रा भार समान अंतराल के पश्चात आये।
मौलिक मापनी ~ सालिम बह्र
वह मापनी जिसके मूल स्वरूप को ज्यों का त्यों लिया गया हो।
मिश्रित मापनी ~ मुरक्कब बह्र
वह मापनी जो दो मूल छंद की मापनी के मिश्रण से बनी हो उसे मिश्रित मापनी कहा जायेगा।
अपदान्त गीतिका ~ ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल
जिस गीतिका (हिन्दी गजल में पदान्त (रदीफ़) न हो उसे अपदान्त गीतिका कहते हैं
अकार योग ~ अलिफ़ वस्ल
दो शब्दों की मात्रा को जोड़कर पढ़ने से होने वाले परिवर्तन को अकार योग कहते हैं
पुच्छ लोप ~ पद के अंतिम लघु का लोप
मात्रा गिराने की प्रक्रिया को पुच्छ लोप कहते हैं
धारावाही गीतिका ~ मुसल्सल ग़ज़ल
जिस गीतिका (हिन्दी ग़ज़ल) के प्रत्येक युग्म (शे'र) का विषय अलग - अलग होता है
गीतिकाभास ~ ग़ज़लियत
चयनित प्रतीक और बिम्ब के माध्यम कहन श्रेष्ठ हो, अगर ये न हों तो कथन सच्चा और कड़ुवा हो जिससे श्रोता को लगे कि तुझ पर कहा है
निष्कर्ष :- सबको अपने ऊपर आता दिखे वह युग्ल श्रेष्ठ होता है।
समान्ताभास ~ ईता
यह काफिये का दोष होता है जिसमें 2 ऐसे शब्द जो सानुप्रास न हों उन्हें बढ़ाकर काफ़िया बनाना
वचनदोष ~ शुतुर्गुर्बा
एक ही शे'र / युग्म में जब दो सम्बोधन जैसे आप और तुम दिए जाएं तो यह शुतुर्गुर्बा / वचन दोष कहलाता है
पदान्त समता दोष ~ एबे-तकाबुले-रदीफ़
प्रथम युग्म (मतले) से पृथक पदान्त के अंतिम स्वर प्रथम पंक्ति में लग जाएं तो यह दोष उत्पन्न हो जाता है।
संजय कौशिक 'विज्ञात'