गीत
होली
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मत रँगना रंग गुलाल मुझे
छोड़ो मुझको सांवरिया।
1
कर पिचकारी जब डोली।
भीगे तन-मन संग चोली।
जूही कुछ बड़बड़ बोली।
कुछ कहती चम्पा भोली।
घर मैया देगी गाल मुझे,
छोड़ो मुझको साँवरिया।
2
कोयल से स्वर में गाती।
जो मस्त हिलोर उठाती।
कान्हा से दृष्टि बचाती।
गोपी वृंदावन आती।
कहती मत फांसो जाल मुझे,
छोड़ो मुझको साँवरिया।
3जब राधा दी न दिखाई ।
कान्हा ने मुरली उठाई।
वो दौड़ी दौड़ी आई।
सुन ऐसी तान बजाई।
फिर रोक प्रेम की झाल मुझे,
छोड़ो मुझको साँवरिया।
4
चित्रण निखरे रंगों का।
मधुबन साथी संगों का।
राधा के उन दंगों का।
उड़ते अबीर ढंगों का।
संजय कौशिक दो ढाल मुझे,
छोड़ो मुझको साँवरिया।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत ही सुंदर होली गीत ....पढ़ते ही गुनगुनाने का मन करे। होली पर राधा कृष्ण की होली का सटीक चित्रण 👌👌👌 बधाई सुंदर सृजन की 💐💐💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार विदुषी जी
Deleteवाह वाह वाह जितनी भी प्रसंशा करे कम है बहुत सुन्दर होली गीत आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम जी
Deleteवाह प्रशंसनीय के गीत अति सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार निरंतर जी
Deleteवाह वाह क्या बानगी नव गीत की लाजवाब
ReplyDeleteआ.विज्ञात जी ...
डॉ़ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ
आत्मीय आभार यथार्थ जी
Deleteबेहतरीन और लाजवाब होली गीत
ReplyDeleteआत्मीय आभार चमेली जी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को " करना मत कुहराम " (चर्चाअंक -3629) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं
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कामिनी सिन्हा
आत्मीय आभार कामिनी जी
Deleteसुंदर नवगीत
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनिता जी
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर
ReplyDeleteसादर
आत्मीय आभार अनिता सैनी जी
Deleteवाह सचमुच फाग रंग बिखेरती सरस शृंगार रचना ।
ReplyDeleteआत्मीय आभार कुसुम जी
Deleteबहुत सुन्दर होली गीत......शानदेर सृजन 👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌👌
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