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Monday, April 19, 2021

दोहे : निराकार साकार दो ईश्वर के हैं रूप ..... संजय कौशिक 'विज्ञात'


निराकार साकार दो 
 ईश्वर के हैं रूप .....
संजय कौशिक 'विज्ञात'


1
निराकार साकार दो, ईश्वर के हैं रूप।
मेघ अनंत यही बने, यही धरा पर कूप।।
2
निराकार साकार है, ईश्वर तू करतार।
सबके मन की जानता, करता बेड़ा पार।।
3
निराकार रखते कहाँ, अहंकार का बीज।
तम रूपी तमकार से, होती इनको खीज।।
4
पूजा करना तुम सदा, निराकार का मंत्र।
सबसे उत्तम रूप ये, उत्तम है ये तंत्र।।
5
पूर्णाहुति दे यज्ञ की, निराकार का कुण्ड।
सिंह समान बढ़ो सदा, तज कर मृग के झुण्ड।।
6
मुख मण्डल का तेज ये, देता नित नव कांति।
निराकार आनंद सा, देता सच्ची शांति।।
7
भाल मध्य में ध्यान कर, चमके लौकिक शक्ति।
निराकार के रूप में, ये है उत्तम भक्ति।।
8
भावों के भगवान हैं,भावों के गुणगान।
निराकार जो पूजते, पाते सच्चा ज्ञान।।
9
केंद्र बिंदु है शक्ति का, भाल मध्य में जान।
निराकार साकार का, पार ब्रह्म भगवान।।
10
वेदों की हैं जो ऋचा, गीता के जो श्लोक।
निराकार चौदह भुवन, शाश्वत तीनों लोक।।

11
भेद अठारह खोलते, कहें चार छह ज्ञान।
निराकार साकार की, कर उत्तम पहचान।।
12
वेदों की हैं जो ऋचा, गीता के जो श्लोक।
निराकार चौदह भुवन, शाश्वत तीनों लोक।।
13
सब अणुओं से सूक्ष्म है, विस्तृत ये ब्रह्माण्ड।
निराकार साकार का, पूजनीय हर काण्ड।।
14
परमात्मा अच्युत यही, ये ही चलायमान।
निराकार को याद रख, नित करना गुणगान।।
15
सर्वविधा विद्या यही, चलती सारी सृष्टि।
निराकार छाया तले, सौम्य मिले नित दृष्टि।।
16
निराकार मंगल करो, धरो कृपा का हाथ।
काटो नित अज्ञानता, निराकार हे नाथ।।
17
नदियों में है जल यही, और सूर्य का तेज।
निराकार साकार बन, बैठे मंदिर सेज।।
18
मन मंदिर में चित्र जो, सजा रहे हैं आप।
निराकार साकार का, काटेगा वो पाप।।
19
चंचलता को त्याग कर, हिय अच्युत कर आज।
निराकार फिर सब करें, सफल सिद्ध हर काज।।
20
कण्टक जीवन मार्ग से, हट जायें बन फूल।
निराकार की शक्ति को, मानव तू मत भूल।।
21
निराकार दिखते नहीं, और नहीं है भूल।
जैसे ये दिखती नहीं, अम्बर उड़ती धूल।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

7 comments:

  1. सादर नमन गुरुदेव 🙏
    बहुत ही शानदार आकर्षक दोहे 👌
    एक विषय पर इतने दोहे और सब एक से बढ़कर एक 💐💐💐💐 नमन आपकी लेखनी को 🙏

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  2. वाह वाह 👌 सुंदर सृजन गुरु देव 🙏🙏

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  3. अद्भुत लेखन 👌 वाह बेहतरीन दोहे आदरणीय 🙏

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  4. प्रणाम गुरुदेव जी
    बहुत ही सुन्दर दोहा है

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  5. नमन आपकी लेखनी को गुरुदेव ईश्वर की महिमा का गुणगान आपने दोहे में बड़ी सुन्दरता से व्यक्त किया है ।

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  6. निराकार साकार दो ईश्वर के रूप सुन्दर दोहे ,आपकी लेखनी को नमन ।

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  7. अद्भुत दोहे ।
    निराकार और साकार पर सुंदर विवेचना ।
    अप्रतिम।

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