गीत
भाव प्रसव की पीर
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी ~ 16/14
चित्रित बिम्बित दृश्य दिखाती
सृजित हुई है ये कविता
काव्य अनूठा नव्य कहाए
बहे भाव की जब सरिता।।
भाव प्रसव की पीर उतरती
जहाँ पृष्ठ दिखते कोरे
केंद्र बिंदु के इर्दगिर्द ही
दिखते आकर्षक डोरे
विरह करुण शृंगार वीरता
सभी रसों के हैं पोरे
व्याकुल सी मसि रहे स्पर्श को
ह्रदय लेखनी का चोरे
छिपते चंद्र चाँदनी चातक
प्रकट हुए हैं जब सविता।।
शिल्प अलंकृत भाव भंगिमा
सदा सराहा जाता वो
गर्भवती जनती जो बालक
नूतन ही कहलाता वो
जो चोरी के बालक पाले
निम्न सृजन की माता वो
दोष पिता छक्काधारी का
मिथ्या रखता नाता वो
सृजन बीज खण्डित सा रोपा
जय ही जय चाहे भविता।।
कविता सम्मानित करने की
कैसी रीत चलाई है
सच्चे कवियों की चोरों ने
अबके नींद उड़ाई है
कब्जा कर औरों की धरती
अपनी फसल उगाई है
बढ़ा लटा ली सरदारों सी
करनी भूल कटाई है
और उघाई भी कब देते
बना मंच ली अब हरिता।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
सादर वंदन गुरुदेव 🙏🙏🙏
ReplyDeleteअद्धभुत सृजन 👌👌👌
सभी बिम्ब एक से बढ़कर एक...कटाक्ष का तड़का बहुत ही जबरजस्त। आपके हर सृजन में नव्यता होती है जो मन मस्तिष्क दोनों को सोचने पर बाध्य करती है। विश्व कविता दिवस की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐
सादर वंदन गुरुदेव 🙏🙏🙏
ReplyDeleteअद्धभुत सृजन 👌👌👌
सभी बिम्ब एक से बढ़कर एक...कटाक्ष का तड़का बहुत ही जबरजस्त। आपके हर सृजन में नव्यता होती है जो मन मस्तिष्क दोनों को सोचने पर बाध्य करती है। विश्व कविता दिवस की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐
सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर कटाक्ष रचना चोरों पर
ReplyDeleteसच्चे कवियों की चोरों ने
ReplyDeleteअबके नींद उड़ाई है
कब्जा कर औरों की धरती
अपनी फसल उगाई है
कटु सत्य, बेहद खूबसूरत नवगीत आदरणीय 👌👌
आ0 उत्तम बिम्ब
ReplyDeleteजो चोरी का बालक पाले
उत्कृष्ट भाव के साथ सटीक प्रहार
सादर प्रणाम गुरु देव
ReplyDeleteहर दृष्टि से शानदार �� रचना है।
काव्य की चोरी पर कटाक्ष करती एक शानदार कविता👏👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌
ReplyDeleteउत्तम अति उत्तम ....
ReplyDeleteलेखन गति तीव्रता भारी और गति अविराम
भाव प्रवीणता बिम्ब अभिव्यक्ति दोंनो ललित ललाम
शब्दों का गुन्थन अति रोचक प्रश्न सटीक उठाय
रचना मेंं कवि क्या लिखता है पाठक बहका जाय ॥
ड़ा इन्दिरा गुप्ता यथार्थ
बहुत ही अनुपम रचना गुरूदेव । संदेश देती हुई । बहुत ही सुन्दर ।
ReplyDeleteआज काव्य जगत में जो चोरी हो रही है, कविताओं की उस पर दुःख वेदना के साथ तीक्ष्ण प्रहार और तंज करता सांगोपांग व्यंजनाओं का अद्भुत अंदाज नज़र आ रहा है इस नवगीत में।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर।
अप्रतिम।
बहुत ही अनुपम रचना बहुत ही सुदंर बिंम्ब के साथ आपका यह नवगीत मन मोहता बहुत बहुत बधाई गुरुदेव शानदार👌👌🙏🙏🙏
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