*दग्धाक्षर*
संजय कौशिक 'विज्ञात'
दग्धाक्षर के छंदशास्त्र के अनुसार गण शुभ अशुभ फल बताए गए हैं। ठीक उसी प्रकार वर्णमाला के कुछ वर्ण भी हैं। जो शुभ अशुभ कारक रहते हैं। जिनके प्रयोग के काव्य का प्रारम्भ निषिद्ध माना जाता है जिनकी संख्या भी निश्चित की गई है। ऐसे वर्ण 19 दग्धाक्षर दोषपूर्ण माने जाते हैं आइये जानते हैं वे कौन कौन से हैं ....
दग्धाक्षर -> कुल उन्नीस हैं ... ट, ठ, ढ, ण, प, फ़, ब, भ, म, ङ्, ञ, त, थ, झ, र, ल, व, ष, ह आदि
इन उन्नीस वर्णों का प्रयोग काव्य, गीत, छंद आदि के प्रारम्भ में वर्जित है माना जाता है। परन्तु इनमें से भी पंचदग्धाक्षर विशेष आग्रह द्वारा पूर्णतया वर्जित समझने चाहिए -> *झ, ह, र, भ, ष* — ये पंचदग्धाक्षर सर्वदा त्याज्य समझने चाहिए।
इन दग्धाक्षरों के प्रयोग में कुछ उपाय परिहार स्वरूप भी सुझाए जाते हैं परिहार सदैव याद रहने वाला सरल है। आइये परिहार के विषय में भी जान लें
*इन काव्य के प्रारंभ में अशुभ गण तथा दग्धाक्षर के लिखने के संकेत त्याज्य नहीं माने जाते जहाँ मंगल-सूचक अथवा देवतावाचक शब्द से किसी काव्य सृजना की शुरुवात हो रही है वहाँ दग्धाक्षर और अशुभ गण के दोष का परिहार हुआ समझना चाहिए।
एक आवश्यक जानकारी भी अवश्य सुरक्षित करें .....
गण } देवता } स्वरूप } फल } मित्र आदि संज्ञाएँ
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
यगण } जल } ISS} वृद्धि या अभ्युदय} भृत्य
मगण } पृथ्वी} SSS} लक्ष्मी वृद्धि} मित्र
तगण } आकाश} SSI} धन-नाश} उदासीन
रगण } अग्नि} SIS} विनाश } शत्रु
जगण } सूर्य } ISI} रोग } उदासीन
भगण } चंद्रमा } SII} सुयश } भृत्य
नगण } स्वर्ग } III} आयु } मित्र
सगण } वायु } IIS} भ्रमण } शत्रु
संजय कौशिक 'विज्ञात'
Bhaut sunder
ReplyDeleteआत्मीय आभार नवल डग्गा जी
Deleteअद्भुत ज्ञानवर्धक जानकारी 👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनुराधा जी
Deleteबहुत बढ़िया जानकारी सर
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteअद्भुत जानकारी , आभार आपका
ReplyDeleteआत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteये तो बहुत गहन है और बिल्कुल नयी जानकारी मेरे लिए ,
ReplyDeleteन जाने आज तक कितने निषेध से आरंभ करते रहें हैं।
सच कहूं तो अद्भुत और उपयोगी।
साधुवाद ।
आत्मीय आभार कुसुम कोठारी जी
Deleteमहत्वपूर्ण जानकारी l
ReplyDeleteआत्मीय आभार मीनाक्षी जी
Deleteज्ञानवर्धक व महत्वपूर्ण जानकारी आ.सर जी🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Delete🙄 बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार चमेली जी
Deleteबहुत सुंदर। स्मरणीय जानकारी।
ReplyDeleteआत्मीय आभार विद्या भूषण मिश्र जी
Deleteअद्भुत अति सुन्दर
ReplyDeleteआत्मीय आभार बोधन जी
Deleteअद्धभुत जानकारी
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही काम की जानकारी आदरणीय।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Delete"यमाताराजभानसलगा" सुन्दर विग्रह एवं "छन्द" सतर्कता की ओर ध्यानाकर्षण के लिए सादर बधाई।
ReplyDeleteआत्मीय आभार प्रधान जी
Deleteसुंदर जानकारी
ReplyDeleteआत्मीय आभार रजनी रामदेव जी
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी आदरणीय बहुत सुंदर
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम जी
Deleteअद्भुत जानकारी आदरणीय...🙏🌷
ReplyDeleteआत्मीय आभार प्रजापति कैलाश सुमा जी
Deleteअत्यंत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeleteआत्मीय आभार अतिया नूर जी
Deleteलेकिन ये उन्नीस अक्षर दग्धाक्षर क्यों हैं?
ReplyDelete