*●अनंद छंद● *संजय कौशिक “विज्ञात”
आधारित गीत
अनंद छंद वार्णिक छंद है इसमें 14 वर्ण होते हैं लघु गुरु की क्रमानुसार 7 बार आवर्ति होती है। गण और मापनी के द्वारा इसे निम्न तरीके से समझा जा सकता है प्रति 2 पंक्तियों का तुकांत समनान्त लिखा जाता है
गण:- [जगण, रगण, जगण, रगण + लघु गुरु]
मापनी:- {121 212 121 212 12}
करो प्रचार खूब बेटियाँ पढ़ाइये।
विचार नेक आज बेटियाँ बचाइये॥
जगे प्रभाव ज्ञान से समाज ये अभी।
मशाल थाम के चलो रुको नहीं कभी॥
सुझाव मानते हुऐ यहाँ बढ़ो सभी।
बनो प्रतीक तेज आज प्रेरणा तभी॥
स्वभाव से मुदा हिये सुता बसाइये …….
बने प्रकाश लोग मार्ग देख के चलें।
न अन्धकार कालिमा कहीं नहीं पलें॥
थके नहीं डटे नहीं कभी अड़ान पे।
रुके नहीं उड़े चले सदा उड़ान पे॥
सँवार दे जहान को इन्हें उड़ाइये ……..
बने मकान यूँ विशाल आसमान में।
दिखा चुकी उड़ान कल्पना जहान में॥
तमाम कल्पना नवीन बेटियाँ बनें।
सधी हुई पढ़ी प्रवीण बेटियाँ बनें॥
बिना पढ़ी यहाँ न बेटियाँ बनाइये ……
करे पिता व मात कर्म गाँव गाँव में।
प्रधान पंच लें कमान धूप छाँव में॥
बचाव बेटियाँ प्रयास तेज आज हों।
विकास देश का बने प्रभाव काज हों॥
उदारता महान संजु रोज गाइये ……..
संजय कौशिक “विज्ञात”
उत्कृष्ट सृजन
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteSarvottam rachna
ReplyDelete👌👌
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ReplyDeleteबहुत खूब सर जी
ReplyDeleteNITU THAKURJanuary 11, 2020 at 11:29 PM
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और सार्थक संदेश देती रचना ...बिना बेटियों के शिक्षित हुए किसी भी समाज का विकास संभव नही। माता-पिता,समाज तथा सरकार सभी की जिम्मेदारी है।बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की 💐💐💐 अनंद छंद का विधान बताने के लिए आभार 🙏🙏🙏
बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteबचाव बेटियाँ प्रयास तेज आज हों।
ReplyDeleteविकास देश का बने प्रभाव काज हों॥ बहुत सुंदर और सटीक रचना आदरणीय 👌👌💐
बहुत सुंदर व ज्ञानप्रद रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर व ज्ञानप्रद रचना।
ReplyDelete👍
ReplyDeleteअत्योत्तम सृजन सर जी।
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना आपकी आदरणीय बेटियों पर बहुत बहुत सुंदर
ReplyDeleteशानदार रचना आदरणीय
ReplyDeleteBhut badiya
ReplyDeleteBohot khubsurat
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 13 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (14-01-2020) को "सरसेंगे फिर खेत" (चर्चा अंक - 3580) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
-- लोहिड़ी तथा उत्तरायणी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उत्तम सृजन बधाई हो
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
अद्भुत
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteV True with positive vibes
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हुआ जो ये ब्लाग बनाया आपने जीजू जी, बहुत सुंदर बहुत
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