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Wednesday, January 29, 2020

●असंबधा छंद● ■संजय कौशिक 'विज्ञात'■


असंबधा छंद●  ■संजय कौशिक 'विज्ञात'■
◆शिल्प विधान ◆
यह एक वार्णिक छंद है, जिसमें 14 वर्ण लिखे जाते हैं। जिसकी मापनी और गण क्रम निम्नलिखित हैं  
तुकांत 2 चरण प्रति समनान्त 
{222 221 111 112  22}
मगण तगण नगण सगण गुरु गुरु 
गीत****

रोते क्यों वो भेज प्रणय वर बेटी को।
मानें हैं जो दीप किरण घर बेटी को॥

बेटे-सा दामाद अगर मिलता देखा।
तो ही लेते निर्णय जब खिलता देखा॥
सोने जैसा पीतल जब चलता देखा।
रोते क्यों ? क्या? सोच समझ कर बेटी को .....

रिश्ता तो माँ बाप चयन करते देखो ।
होता जो संजोग वरण वरते देखो॥ 
देते बेटी दान सदन भरते देखो ।
देखें रिश्ते लाल नयन भर बेटी को .....

रोती आँखें और सिसक उठती बेटी ।
कैसे हों ये शांत सुबक उठती बेटी॥ 
शीशे जैसी टूट चटक उठती बेटी ।
मारे क्यों ये मार बहन पर बेटी को ........

छोड़ो लेने यौतुक अब बदहाली के।
खोलो आँखें द्वार परम हरियाली के॥ 
होंगे ये साकार सपन बलशाली के।
सोचें ऐसे योग्य सफल हर बेटी को .......

संजय कौशिक 'विज्ञात'

86 comments:

  1. वाह्ह्ह, बहुत धन्यवाद कौशिक जी आप के ब्लॉग से छंदों के बारे में बहुत सीख पाऊँगा

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    1. गोविंद राकेश जी सादर नमन ये आपका बड्डपन है आत्मीय आभार

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  2. अति सुन्दर आदरणीय सर बधाई हो

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    1. बोधन जी आपकी बधाई से कलम धन्य हुई आत्मीय आभार

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    1. अनंत जी आप जैसे प्रसिद्ध लेखक से प्रोत्साहित होकर कलम धन्य समझने लगती है स्वयं को, आत्मीय आभार आपका

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  4. बहुत बढ़िया रचना सर जी
    बधाई हो

    महेन्द्र देवांगन माटी

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    1. माटी सहाब आप स्वयं बहुत अच्छे छंदकार हैं आपसे प्रोत्साहित होकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका

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  5. उपयोगी व अनुकरणीय कृति। सहृदय बधाईयाँ सर जी।

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    1. साहू सहाब आप स्वयं बहुत अच्छे छंदकार हैं आपसे प्रोत्साहित होकर कलम धन्य हुई, आत्मीय आभार आपका

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    1. आत्मीय आभार कलम घिसाई हर विधा में निखार पर है और ऐसे में आपके द्वारा रचना प्रोत्साहना पाकर स्वयं को धन्य समझती है पुनः आभार आपका

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  7. बहुत खूबसूरत रचना विज्ञात जी. बहुत कुछ सीखना है आपसे 🙏 🙏

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    1. सुधा जी आत्मीय आभार हम स्वयं आपसे सीखते हैं नमन आपको....

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  8. बहुत ही सुन्दर और मार्मिक रचना आदरणीय 🙏
    एक और छंद,सीखने की कोशिश करेंगे आदरणीय 🙏🌷

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    1. अभिलाषा जी आपके इस सहज भाविय आधारित बड्डपन को सादर नमन हम आपसे सीखते हैं इस विश्वास के साथ कि यह सीखने और सीखाने की परंपरा निरंतर इसी प्रकार चलती रहे .... आत्मीय आभार

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  9. अति उत्तम रचना ,
    मैं भी कोशिश करती हूँ

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    1. आत्मीय आभार अनिता सुधीर जी, आपकी सशक्त कलम ऐसे अनेक वार्णिक छंद सृजन कर चुकी है और निखरी हुई लेखनी है आपकी सौभाग्य से कुछ रचनायें पढ़ी भी हैं हमने आपके द्वारा प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई पुनः आभार आपका

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  10. बहुत सुन्दर आदरणीय...

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  11. उपयोगी व अनुकरणीय कृति। सहृदय बधाईयाँ सर जी।

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  13. बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद सर।

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  14. 🙏🏻 बेटियों के लिए बहुत सुन्दर रचना आ.सर जी बधाई व शुभकामनाएं

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  15. बहुत खूबसूरत रचना बेटियों पर सही बात है

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  17. बहुत सुंदर!
    आपके द्वारा हरदिन एक नया छंद समझने को मिलता है, हालांकि मैं देखकर भी प्रयोग नही कर पाती, हमेशा लगता है नया कुछ करने का समय ही नहीं है ,और इधर आपकी हरदिन कुछ नया सीखने सीखाने की प्रतिबद्धता सर्वोच्च मुखी है ,नमन है आपकी इस लग्न और मेहनत को।
    बहुत सुंदर सृजन आपका।
    भाव सुंदर हृदय स्पर्शी।
    अभिनव लेखन।

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    1. कुसुम कोठारी जी आत्मीय आभार... आपके द्वारा इतने सुंदर शब्दों से प्रोत्साहना पाकर कलम स्वयं को धन्य समझने लगती है नमन आपकी सृजन धर्मिता को आप भी बहुत सुंदर-सुंदर छंद सृजन करती हैं... बधाई एवं शुभकामनाएं आपको पुनः आत्मीय आभार

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  18. वाहहहहह अद्भुत लेखन, एक और नया छंद, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति👌👌

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    1. आत्मीय आभार अनुराधा जी सादर नमन आपको ... आपकी प्रशंसा से कलम धन्य हुई

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  19. बेटी और परिजन दोनों की व्यथा को सटीक शब्दों में लिखा आपने 👏👏👏 बहुत ही सुंदर रचना👌👌👌 एक और छंद के विषय में जानकारी देने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय 🙏🙏🙏

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    1. आत्मीय आभार विदुषी जी सोने की चमक जब पीतल निकलती है तो निःसंदेह मन खिन्न होता है उसी खिन्नता को शब्द देने का प्रयास किया है आपने सहजता से इसे समझा और सराहना की पुनः आभार आपका

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  20. वाह वाह वाह जी बहुत बढिया 👌👌👌🙏

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  21. अत्यंत हृदयस्पर्शी रचना है आदरणीय 👌👌👌👌

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  22. वाह बहुत सुन्दर रचना, बेटी और परिजनों के मन की भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति टंकित की है, बधाई ।

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    1. आत्मीय आभार मंजू जी आपने शब्दों को पढ़ा प्रयास सफल और सार्थक हुआ प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई पुनः आभार आपका

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  23. बहुत सुन्दर आदरणीय...🙏🏼

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    1. आत्मीय आभार आपका टैगोर साहब

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  24. अति सुंदर व हृदय सप्रसी रचना

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  25. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर छन्दबद्धरचना साथ ही ज्ञानवर्धक शुरुआत.....।

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  26. अनुपम व प्रशंसनीय छंद साधना!

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  28. अति सुन्दर आद. कमाल की रचना।

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    1. मुकेश जी आप स्वयं एक अच्छे छंदकार हैं आपसे प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका

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  29. अतीव सुंदर रचना ,आदरणीय !

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    1. अनुपमा जी आत्मीय आभार आपका ... आपसे प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई

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  30. Bhut marmik Rachna h sir 👍👍

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  31. वाह ,बहुत सुन्दर सृजन
    बधाई हो अनुज
    नवसृजन के लिए प्रेरणा बनो

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    1. प्रेरणा तो आप हैं छंद की आत्मीय आभार आपका

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  32. वाह.. बहुत सुंदर

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  33. अति सुंदर अप्रतिम मैं गा भी पा रही हूं ये. वाह कम है, सराहना से परे रचना है आपकी

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  34. कुण्डलियाँ छन्द का सूक्ष्म विवेचन नवोदित रचनाकारों के लिए अनुकरणीय है। प्रभावोत्पादक शब्द विन्यास प्रेरक है।
    विज्ञात जी!अशेष बधाई।

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    1. प्रधान जी आपके कमेंट अभी तक इनबॉक्स में प्राप्त होते थे आज आपको ब्लॉग पर लिखते देख मन प्रसन्न हुआ आत्मीय आभार आपका

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  35. आदरणीय कौशिक जी आप के ब्लाँग से छंद की बहुत ही सुन्दर और विस्तार से जानकारी प्राप्त होती है

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  36. यशोदा जी आपके द्वारा किये जा रहे कार्य से पाठक वर्ग निरन्तर बढ़ रहा है,जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है आत्मीय आभार आपका

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