कह मुकरी विधान
संजय कौशिक 'विज्ञात'
कह मुकरी एक लोक छंद है।यह छंद काव्य की एक पुरानी मगर बहुत खूबसूरत विधा है। यह चार पंक्तियों की संरचना है। यह विधा दो सखियों के परस्पर वार्तालाप पर आधारित है। जिसकी प्रथम 3 पंक्तियों में एक सखी अपनी दूसरी अंतरंग सखी से अपने साजन (पति अथवा प्रेमी) के बारे में अपने मन की कोई बात कहती है। परन्तु यह बात कुछ इस प्रकार कही जाती है कि अन्य किसी बिम्ब पर भी सटीक बैठ सकती है। जब दूसरी सखी पहली से यह पूछती है कि क्या वह अपने साजन के बारे में बतला रही है, तब पहली सखी लजा कर चौथी पंक्ति में अपनी बात से मुकरते हुए कहती है कि नहीं वह तो किसी दूसरी वस्तु के बारे में कह रही थी ! यही "कह मुकरी" के सृजन का आधार है।
इस विधा में योगदान देने में अमीर खुसरो एवम् भारतेंदु हरिश्चन्द्र जैसे साहित्यकारों के नाम प्रमुख हैं ।
यह ठीक 16 मात्रिक चौपाई वाले विधान की रचना है। 16 मात्राओं की लय, तुकांतता और संरचना बिल्कुल चौपाई जैसी होती है। पहली एवम् दूसरी पंक्ति में सखी अपने साजन के लक्षणों से मिलती जुलती बात कहती है। तीसरी पंक्ति में स्थिति लगभग साफ़ पर फिर भी सन्देह जैसे कि कोई पहेली हो। चतुर्थ पंक्ति में पहला भाग 8 मात्रिक जिसमें सखी अपना सन्देह पूछती है यानि कि प्रश्नवाचक होता है और दुसरे भाग में (यह भी 8 मात्रिक) में स्थिति को स्पष्ट करते हुए पहली सखी द्वारा उत्तर दिया जाता है ।
हर पंक्ति 16 मात्रा, अंत में 1111 या 211 या 112 या 22 होना चाहिए। इसमें कहीं कहीं 15 या 17 मात्रा का प्रयोग भी देखने में आता है। न की जगह ना शब्द इस्तेमाल किया जाता है या नहिं भी लिख सकते हैं। सखी को सखि लिखा जाता है।
चमक दमक कर वो इठलाये।
मन की बातें वो बतियाये।
रूप लगे जिसका मनभावन।
हे सखि साजन? ना सखि सावन॥
प्रेम प्रीत है उसकी माया
दो परियों सी जिसकी काया
बातें मीठी मन में उकरी
हे सखि कोयल? ना सखि मुकरी
देख अचानक आहट सुनकर
सखियाँ बातें करती उसपर
किसके कारण तू है पिचकी
हे सखि साजन? ना सखि हिचकी
जिसका आना है मन भावन
और लगे गंगा सम पावन
बातें उसकी होती मिठ्ठी
हे सखि साजन? ना सखि चिट्ठी
इधर-उधर जो दिखता उत्तम
शांत स्वभावी लगता अनुपम
दृष्टि पटल सम्मोहित कजरा
हे सखि साजन? ना सखि गजरा
संजय कौशिक 'विज्ञात'
वाह आदरणीय अति सुन्दर प्रस्तुति ,मनोहारी विधा सुन्दर छंद👌👌👌👌
ReplyDeleteशानदार छंद
ReplyDeleteलाजबाव
ReplyDeleteपाखी
शानदार..
ReplyDeleteकमाल की विधा है ये मुकरी👌👌👌👌👏👏👏👏
ReplyDeleteवाह 👌👌 अति उत्तम, बहुत कुछ सीखने को मिलेगा आपसे आदरणीय 🙏🌷
ReplyDeleteअमीर खुसरो जी की इस विधा पर आपने विस्तृत विवरण दिया जो की नया सीखने वालों के लिए बहुत उपयोगी है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कह मुकरी
दो नम्बर की मुकरी पर आपने प्रथा और परम्परा से हटकर प्रयोग किया है जो हो सकता है कह मुकरी का स्वरूप बदलने में नयी पहल बने बहुत
सुंदर कह मुकरी।
अति उत्तम आ0
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबेहद लाजवाब...
🙏🙏🙏🙏
वाह बेहतरीन 👌👌
ReplyDeleteसुंदर उदाहरण के साथ बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार आदरणीय 🙏🙏🙏 अवश्य कोशिश करेंगे कि इस विधा में कुछ लिख सकें 🙏🙏🙏
ReplyDeleteमनभावन छंद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर विधा,,,👌👌👌खूबसूरत कह मुकरी
ReplyDeleteनिशब्द👌👌
ReplyDeleteनिशब्द👌👌
ReplyDeleteअति उत्कृष्ट उदाहरण के साथ बहुमुल्य जानकारी एक नूतन छंद का
ReplyDeleteनमन है गुरुदेव जी आप को और आप की लेखनी को
बहुत ही सुन्दर लाजवाब👌👌👌🙏🙏
ReplyDeleteअति सुंदर । 👌👌👏👏👏🌷
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