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Wednesday, January 29, 2020

◆वर्ष छंद◆ ◆●संजय कौशिक 'विज्ञात'●◆

◆वर्ष छंद◆ ◆●संजय कौशिक 'विज्ञात'●◆

वर्ष छंद यह एक वर्णिक छंद है इसमें 9 वर्ण प्रति चरण रखे जाते हैं तुकांत समनान्त प्रति दो चरण कहा जाता है इस छंद की मापनी और गण निम्न लिखित हैं जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है 
मापनी- 222 221 121 
(मगण तगण जगण)

लेना है ऐसा प्रतिकार 
मारे वो पापी किलकार 
आ जाओ आगे ललकार 
देनी है ऐसी फटकार 

लोहा मानें देख पुराण 
थाती ऊंची साक्ष्य प्रमाण 
मापो आओ ये परिमाण 
जागो हो जाओ क्रियमाण

देखो आँखों में प्रतिशोध 
होगा कैसे ये फिर बोध 
बोलो क्या क्या हैं अवरोध 
मेटेंगे सारे कर शोध 

झूठे होंगे वो षडयंत्र 
क्यों हों दोबारा परतंत्र 
पीढ़ी को दो देश स्वतंत्र 
बोलो सारे ये मिल मंत्र 

संजय कौशिक 'विज्ञात'

61 comments:

  1. बहुत ही शानदार रचना आदरणीय ...प्रतिकार करने को प्रेरित करती जोश से भरपूर सार्थक रचना 👌👌👌 आदरणीय बहुत बहुत बधाई इस सुंदर सृजन की💐💐💐

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  2. बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर..आपका इस अतुलनीय योगदान के लिए आपकी रचनात्मकता के लिए विधा में रुचि रखने वाले हर साहित्य प्रेमी सदैव कृतज्ञ है।
    सादर।

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    1. आपकी प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार स्वेता जी

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    1. अनन्त सहाब आप स्वयं बहुत अच्छे लेखक हैं आपके द्वारा ऐसे शब्द सुनकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार

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  4. उत्कृष्ट नमन लेखनी को

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    1. अनिता सुधीर जी निःसंदेह वर्ष छंद की प्रेरणा आपसे प्राप्त हुई है। आपकी लेखनी को नमन ... आत्मीय आभार

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  5. उत्कृष्ट सृजन 👌 नमन आपकी लेखनी को

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    1. अभिलाषा जी आपसे प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका

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  6. लाजवाब आदरणीय , मैं भी प्रयास करूँगी.हम कितना कुछ आपसे सीख रहे हैं..आपको धन्‍यवाद देने के लिए शब्द नहीं हैं. 🙏🙏🙏

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    1. सुधा जी आत्मीय आभार आपका, निःसंदेह आप बहुत सुंदर लिखती हैं हमें इंतजार रहेगा आपके श्रेष्ठ सृजन का

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  7. उत्तम‌ सृजन
    धनेश्वरी धरा

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    1. राकेश जी आपसे प्रशंसा पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका बिहार की साहित्यिक गतिविधियाँ सच में आपके विशेष मार्गदर्शन से साहित्य क्षेत्र में चलने में आनंद आता है पुनः आभार

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  9. बहुत सरल भाषा में बहुत आसानी से समझ आ गया ।
    बहुत उपयोगी।
    डिम्पल शर्मा

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    1. डिम्पल शर्मा जी आपका आत्मीय आभार

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  10. हर दिन एक नया प्रयोग ,सटीक सरस ,सरस्वती आपकी कलम पर ही विराजमान हैं ,समय के साथ हरदिन नया सीखने को, पढ़ने को,मिल रहा है आपकी साहित्य सेवा को नमन।🙏

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    1. कुसुम कोठारी जी आप एक वरिष्ठ सहित्यकारा हैं नमन आपको, आपके पदचिन्हों पर चलते हुए निःसंदेह आपका सम्बल भी मिल रहा है और लेखनी को समय समय पर एक दिशा भी, आत्मीय आभार आपका

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  11. बहुत खूब जी वाह वाह वाह

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  12. वाह बहुत खुब सर आपकी साहित्य सेवा को सादर नमन सर ,बहुत ही सुन्दर जानकारी ।🙏🙏

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  13. बहुत सुन्दर सर जी हार्दिक बधाई हो

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    1. बोधन जी आत्मीय आभार आप जैसे छंदकार से प्रोत्साहित हो कर कलम स्वयं को धन्य समझती है पुनः आत्मीय आभार आपका

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  14. अतुल्य साहित्यिक सृजन🙏

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  15. ,बहुत अच्छी जानकारी

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  17. बहुत ही शानदार आदरणीय आपकी उत्कृष्ट रचना

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  18. अतुलनीय सृजन आ.सर जी🙏🏻

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  19. अतुलनीय सृजन आ.सर जी🙏🏻

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  20. लाजवाब रचना। वाह!

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  21. आदरणीय विज्ञात जी!
    ओज पूर्ण भावों से नारी शक्ति को अपनी तूलिका से छन्द बद्ध करने के लिए आपको अशेष बधाई।

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  22. बहुत बहुत बहुत सुंदर वाह

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  23. आदरणीय बहुत सुन्दर रचना

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  24. बहुत खूब, शानदार छ्न्द आद.

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  25. वाह!!!
    अद्भुत , लाजवाब सृजन।

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  26. बहुत सुन्दर ओजपूर्ण रचना आदरणीय। 👌👌👌👌👌👌एक और नया छंद आज आपके माध्यम से सीखने को मिला।

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  27. बहुत बहुत बधाई आपको बहुत सुंदर रचना आपकी ं

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  28. अद्भुत , लाजवाब सृजन।

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