◆वर्ष छंद◆ ◆●संजय कौशिक 'विज्ञात'●◆
वर्ष छंद यह एक वर्णिक छंद है इसमें 9 वर्ण प्रति चरण रखे जाते हैं तुकांत समनान्त प्रति दो चरण कहा जाता है इस छंद की मापनी और गण निम्न लिखित हैं जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है
मापनी- 222 221 121
(मगण तगण जगण)
लेना है ऐसा प्रतिकार
मारे वो पापी किलकार
आ जाओ आगे ललकार
देनी है ऐसी फटकार
लोहा मानें देख पुराण
थाती ऊंची साक्ष्य प्रमाण
मापो आओ ये परिमाण
जागो हो जाओ क्रियमाण
देखो आँखों में प्रतिशोध
होगा कैसे ये फिर बोध
बोलो क्या क्या हैं अवरोध
मेटेंगे सारे कर शोध
झूठे होंगे वो षडयंत्र
क्यों हों दोबारा परतंत्र
पीढ़ी को दो देश स्वतंत्र
बोलो सारे ये मिल मंत्र
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत ही शानदार रचना आदरणीय ...प्रतिकार करने को प्रेरित करती जोश से भरपूर सार्थक रचना 👌👌👌 आदरणीय बहुत बहुत बधाई इस सुंदर सृजन की💐💐💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार नीतू जी
Deleteबहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर..आपका इस अतुलनीय योगदान के लिए आपकी रचनात्मकता के लिए विधा में रुचि रखने वाले हर साहित्य प्रेमी सदैव कृतज्ञ है।
ReplyDeleteसादर।
आपकी प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार स्वेता जी
Deleteलाजवाब रचना। वाह!!
ReplyDeleteअनन्त सहाब आप स्वयं बहुत अच्छे लेखक हैं आपके द्वारा ऐसे शब्द सुनकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार
Deleteउत्कृष्ट नमन लेखनी को
ReplyDeleteअनिता सुधीर जी निःसंदेह वर्ष छंद की प्रेरणा आपसे प्राप्त हुई है। आपकी लेखनी को नमन ... आत्मीय आभार
DeleteBeautiful 👌👌👌👌👌
ReplyDeleteसाधुवाद
Deleteउत्कृष्ट सृजन 👌 नमन आपकी लेखनी को
ReplyDeleteअभिलाषा जी आपसे प्रोत्साहना पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका
Deleteलाजवाब आदरणीय , मैं भी प्रयास करूँगी.हम कितना कुछ आपसे सीख रहे हैं..आपको धन्यवाद देने के लिए शब्द नहीं हैं. 🙏🙏🙏
ReplyDeleteसुधा जी आत्मीय आभार आपका, निःसंदेह आप बहुत सुंदर लिखती हैं हमें इंतजार रहेगा आपके श्रेष्ठ सृजन का
Deleteउत्तम सृजन
ReplyDeleteधनेश्वरी धरा
धरा जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत उपयोगी
ReplyDeleteराकेश जी आपसे प्रशंसा पाकर कलम धन्य हुई आत्मीय आभार आपका बिहार की साहित्यिक गतिविधियाँ सच में आपके विशेष मार्गदर्शन से साहित्य क्षेत्र में चलने में आनंद आता है पुनः आभार
Deleteबहुत सरल भाषा में बहुत आसानी से समझ आ गया ।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी।
डिम्पल शर्मा
डिम्पल शर्मा जी आपका आत्मीय आभार
Deleteहर दिन एक नया प्रयोग ,सटीक सरस ,सरस्वती आपकी कलम पर ही विराजमान हैं ,समय के साथ हरदिन नया सीखने को, पढ़ने को,मिल रहा है आपकी साहित्य सेवा को नमन।🙏
ReplyDeleteकुसुम कोठारी जी आप एक वरिष्ठ सहित्यकारा हैं नमन आपको, आपके पदचिन्हों पर चलते हुए निःसंदेह आपका सम्बल भी मिल रहा है और लेखनी को समय समय पर एक दिशा भी, आत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत खूब जी वाह वाह वाह
ReplyDeleteआत्मीय आभार
DeleteSo beautiful
ReplyDeleteसाधुवाद बीनू जी
Deleteएक्सीलेंट
ReplyDeleteशानदार आत्मीय आभार
Deleteवाह बहुत खुब सर आपकी साहित्य सेवा को सादर नमन सर ,बहुत ही सुन्दर जानकारी ।🙏🙏
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteबहुत सुन्दर सर जी हार्दिक बधाई हो
ReplyDeleteबोधन जी आत्मीय आभार आप जैसे छंदकार से प्रोत्साहित हो कर कलम स्वयं को धन्य समझती है पुनः आत्मीय आभार आपका
Deleteअतुल्य साहित्यिक सृजन🙏
ReplyDeleteपम्मी जी आत्मीय आभार
Delete,बहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteआत्मीय आभार
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ReplyDeleteबहुत ही शानदार आदरणीय आपकी उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteअतुलनीय सृजन आ.सर जी🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Deleteअतुलनीय सृजन आ.सर जी🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Deleteलाजवाब रचना। वाह!
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDeleteआदरणीय विज्ञात जी!
ReplyDeleteओज पूर्ण भावों से नारी शक्ति को अपनी तूलिका से छन्द बद्ध करने के लिए आपको अशेष बधाई।
आत्मीय आभार आपका प्रधान जी
Deleteबहुत बहुत बहुत सुंदर वाह
ReplyDeleteआभार छुटकी
Deleteआदरणीय बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत खूब, शानदार छ्न्द आद.
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका मुकेश जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteअद्भुत , लाजवाब सृजन।
आत्मीय आभार आपका सुधा जी
Deleteबहुत सुन्दर ओजपूर्ण रचना आदरणीय। 👌👌👌👌👌👌एक और नया छंद आज आपके माध्यम से सीखने को मिला।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत बहुत बधाई आपको बहुत सुंदर रचना आपकी ं
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका पूनम जी
Deleteअद्भुत , लाजवाब सृजन।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
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