●शोकहर/सुभंगी छंद●
◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆
शोकहर/ सुभंगी छंद दोनों छंद में 30 मात्राएं होती हैं ये मात्रिक छंद है इसके प्रत्येक चरण में 8,8,8,6 की यति से (अंत गुरु, गुरु अनिवार्य सहित) 30 मात्राएं होती हैं। जगण चौकल प्रयोग वर्जित है।
पहली-दूसरी यति तुकांत, चार चरण समतुकांत,
चरणांत गुरु गुरु
नशा रोग ये, रहे भोग ये,
रोज झगड़ते, नर-नारी।
घर-घर झगड़े, फूटें जबड़े,
सहती नारी, बेचारी॥
बना नरक घर, नहीं फरक पर,
जिनको बोतल, है प्यारी।
छूटे यह लत, पीयें अब मत,
हो न लड़ाई, फिर भारी॥
मिटा होश दे, घटा जोश दे,
करे तिजौरी, को खाली।
कर बदहाली, रोता माली,
गई मुखों की, सब लाली॥
मिटे नाम भी, पिटे काम भी,
मिले सभी से, बस गाली।
लत छुड़वायें, रोग मिटायें,
अभियान चले, खुशहाली॥
रिश्ते सारे, बनें सहारे,
अच्छी आदत, तब जानो।
सब कुछ खोया, जैसा बोया
अब तो इसको, पहचानो॥
मित्रो आओ, नशा मिटाओ,
सभी मनों से, अब ठानो।
नशा मुक्त हो, ख़ुशी युक्त हो,
मिलती खुशियाँ, फिर मानो॥
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत सुंदर लिखा आपने निःसंदेह संदेश समाजोपयोगी है।
ReplyDeleteआत्मीय आभार स्वेता जी
Deleteवाह, नशाखोरी के विरुद्ध सुन्दर और सार्थक सन्देश है
ReplyDeleteआत्मीय आभार अटल राम जी
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना और एक नया छंद , बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है आदरणीय 🙏🌷
ReplyDeleteआत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteनशाखोरी के दुष्प्रभावों को दर्शाती हुई और नशामुक्ति का सुंदर संदेश देती हुई रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका अनंत जी
Deleteशब्द शिल्प के साथ भाव तारतम्यता अनूठी
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका माधुरी जी
Deleteशब्द शिल्प बेजोड़ एवं भाव विन्यास काबिले तारीफ
ReplyDeleteआत्मीय आभार मंजरी जी
Deleteनशाखोरी से दूर रहने का संदेश 👌👌👌दोष,परिणाम,सुझाव रचना में बहुत अच्छेसे समझाया है 👌👌👌एक और छंद की जानकारी के लिए आभार 🙏🙏🙏
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका विदुषी जी
Deleteबहुत सुंदर लिखा आपने निःसंदेह संदेश समाजोपयोगी है।
ReplyDeleteआभार पुत्तर जी
Deleteनशा मुक्त हो, खुशी युक्त हो।
ReplyDeleteमिलती खुशियाँ, फिर मानो।।
वाह वाह बहुत खूब बेहतरीन जग को संदेश देती आप की हर एक सृजन।
शोकहर/सुभंगी छंद की सुन्दर जानकारी
आप की सोच और कलम को प्रणाम गुरु देव✍️👏👏
आभार पुत्तर जी
Deleteबहुत खूब आद. । अच्छी साहित्य साधना और समाज सेवा। जय माता दी।
ReplyDeleteआत्मीय आभार मुकेश जी
Delete👌👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteवाह, सुंदर
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteवाहः नशा मुक्ति पर सार्थक लेख
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनिता सुधीर जी
Deleteअति उत्तम रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर जानकारी
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteमद्यपान से होने वाले नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित करती एक बेहतरीन रचना आदरणीय 👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteमद्यपान से होने वाले नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित करती एक बेहतरीन रचना आदरणीय 👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत बढ़िया रचना सर जी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
आत्मीय आभार आपका महेंद्र देवांगन माटी जी
Deleteआदरणीय बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteअच्छी सेवा कर रहे हैं आप साहित्य की। हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका आशा शैली जी प्रेरणा पुंज आप ही रही हैं
Deleteएक सार्थक संदेश देती उपयोगी रचना ,एक और नये छंद की जानकारी ,
ReplyDeleteनशे के सभी ऋणात्मक पहलुओं पर सटीक व्याख्या करती सुंदर रचना।
आत्मीय आभार कुसुम कोठारी जी प्रोत्साहना के लिए पुनः आभार
Deleteसमाज को आईना दिखाती आपकी रचना।
ReplyDeleteमधुसिंघी
आत्मीय आभार मधुसिंघी जी
Deleteबहुत सुन्दर व शिक्षाप्रद।
ReplyDeleteआत्मीय आभार डॉ. सरला जी
DeleteWarm Regarda
ReplyDeleteआत्मीय आभार नवल डग्गा जी
Deleteसुशीला जोशी , समाज को सीख देती सुंदर मात्रिक घनाक्षरी । निस्संदेह आप में छंद बसते हैं ।बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteसुशीला जोशी ,मुजफ्फरनगर
आत्मीय आभार सुशीला जी
Deleteछंद लेखन में आपका हाथ काफी सधा हुआ है। बहुत खूबसूरत सृजन ।बधाई
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर जानकारी। बधाई।
ReplyDeleteआत्मीय आभार विद्या भूषण मिश्र जी
Deleteअतिसुंदर लेखन आ.सर जी बधाई व शुभकामनाएं 🙏🏻
ReplyDeleteआत्मीय आभार सविता जी
Deleteवाह बहुत खूब सर जी बधाई हो
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका बोधन जी
Deleteबहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका बोधन जी
Deleteबहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteउत्कृष्ट सृजन,
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका अतिया जी
Deleteउत्तम सृजन, जय जय
ReplyDeleteआत्मीय आभार राणा जी
Deleteसमाज में व्यापक रुप से व्याप्त नशे की गंदी लत के विरुद्ध आपकी निर्दोष लेखनी ने बड़ी शालीनता के साथ सामाजिक दुर्बलता पर शाब्दिक शस्त्र द्वारा पुरजोड़ प्रहार प्रहार किया है.. आपकी संदेशात्मक रचना निःसंदेह सराहनीय है... साधुवाद आपको
ReplyDeleteलता सिन्हा ज्योतिर्मय
Deleteआत्मीय आभार आपका लता सिन्हा ज्योतिर्मय जी
Deleteअनुपम सृजन
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteसभ्य समाज के संरक्षण में नशा मुक्ति का यह छन्द बद्ध सर्जना वरेण्य है। छन्द कार "विज्ञात" जी!को कोटिशः बधाई प्रषित है।
ReplyDeleteआत्मीय आभार प्रधान जी
Deleteवाह बहुत सुंदर और सार्थक रचना आदरणीय 👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनुराधा जी
Deleteसमाजहितैषी शानदार छंद।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका चौवा राम बादल जी
Delete👍👍
ReplyDeleteक्या मस्त लिखा है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत अच्छा है
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर लिखा आपने निःसंदेह संदेश समाजोपयोगी है।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Delete👌👌👌
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