नवगीत
ॐ निनाद
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 16/16
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।।
सत्य विवादित तूल दृष्टि से
उच्च बोध दे शिव ही माहित।।
1
प्रात साँझ विज्ञात शिवम् सम
आदि शक्ति कर वर्णन कहते।
कमल नालमय ब्रह्मा निर्मित
अग्रिम हर मन्वन्तर रहते।।
चतुर्युगी संरचना बनती
तत्व प्रतिष्ठित एक हिताहित।
2
तीन लोक कल्याणी माया
पंचाक्षरमय शोभित शोधित
नित्य निरन्तर काल जपित ये
धरणी पर होती अवरोधित
साक्ष्य गुरुत्वाकर्षित अक्षर
उर्मि सिंधु से नित ही वाहित
3
किंचित लेश मात्र भी विचलित
दृश्य नहीं जो करते धारण
जन्म मृत्यु भय मुक्ति युक्ति ये
पार करे सहयोगी तारण
और उभारण हार नाद ये
रोम-रोम में शिवम् प्रवाहित
संजय कौशिक 'विज्ञात'
सादर नमन आदरणीय 🙏🙏🙏
ReplyDeleteशानदार सृजन 👌🏻👌🏻👌🏻 बहुत ही विचारणीय नवगीत ...निःशब्द करता सृजन ....ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐💐
अनुपम रचना। बहुत ही सुन्दर।नमन आपकी लेखनी को।
ReplyDeleteअप्रतिम रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर आदरणीय सुन्दर रचना नमन आपकी लेखनी को
ReplyDeleteमाहित meaning ??
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteजय हो, शानदार सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर पावन ऋचा सा सृजन ।
ReplyDeleteवाह अदभुत अविस्मरणीय लेखन अप्रतिम
ReplyDelete👏👏👏👏👏👏👏👏👏
रोम रोम में शिवा प्रवाहित
अदभुत निखण्ड सा भाव
खण्ड खण्ड में व्याप्त हैं
अमरत्व का ये प्रभाव ।
डॉ़ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ
अति सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत प्रेरणादायक
ReplyDelete