गीत
भारत की पहचान
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 16/14
नैतिकता आदर्श हमारे
भारत की पहचान बने।
पार्थ धनुर्धर चन्द्रगुप्त से
शिक्षित श्रेष्ठ महान बने।
1
आर्य भट्ट कर खोज शून्य की
विश्व पटल को चौंकाया।
मानवता का सभ्य पाठ भी
भारत ने ही समझाया
श्रद्धा भाव से शिल्प गढ़ा जब
पत्थर भी भगवान बने।
2
वेद ज्ञान से शब्द फूटते
वीणा की झंकार हमीं।
चांद कल्पना पाँव धरे वो
दिव्य ज्ञान का सार हमीं।
और जगत के रक्षक बनकर
हम ही शक्ति विधान बने
3
सदियों की वो पराधीनता
उसको हमने फूंक दिया।
दहकी ज्वाला हवन कुण्ड सी
हवि मानव दे यज्ञ किया।
जलियांवाला जैसे लाखों
इस भूमि पर श्मशान बने
संजय कौशिक 'विज्ञात'
उत्तम सृजन
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर सृजन । हमारे देश की पहचान तो यही है । इसे धूमिल होने से बचाना है।
ReplyDeleteनैतिकता आदर्श हमारे
ReplyDeleteभारत की पहचान बने।
बहुत ही सुन्दर गीत सृजन गुरु देव जी
बहुत सुन्दर और सार्थक
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन आदरणीय।
ReplyDeleteसादर।
हमेशा की तरह सुन्दर, अति सुन्दर, आदरणीय
ReplyDeleteवाह... बहुत सुंदर सृजन आ.
ReplyDeleteनैतिकता आदर्श हमारी
ReplyDeleteपार्थ धनुर्धर चन्द्रगुप्त से
शिक्षित श्रेष्ठ महान बने भारत को पहचान भारत की संस्कृति उसके नैतिक आदर्श हैं ।
मूल्यवान प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर रचना 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteदेशभक्ति से भरपूर भारत के स्वर्णिम इतिहास को स्मरण कराता सुंदर नवगीत 👌🏻👌🏻👌🏻बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की 💐💐💐💐
ReplyDeleteदेशभक्ति रचना बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन आदरणीय
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