तुकान्त क्या है ?
किसी भी रचना के अंत में प्रयोग किये जाने वाली तुकबंदी को तुकांत कहते हैं। तुकांत प्रायः तीन प्रकार का कहा जाता है
1 उत्तम तुकांत
2 मध्यम तुकांत
3 निम्न तुकांत
इन तीनों श्रेणी से जिस पंक्ति का अंत नहीं मिलता वह पंक्तियाँ 'अतुकांत' कहलाती हैं
उत्तम तुकांत -
उदाहरण 1
किसी पाषाण से मूरत प्रकट यूँ एक हो जाती।
तभी छेनी हथौड़ी पर विजय के गीत वो गाती।
कलम यूँ पृष्ठ पर चलती हुआ निर्माण ये बोले।
मुझे निर्मित करे कविता सदा सम्मान ये पाती।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
उदाहरण - 2
कहीं हीरे कहीं मोती बहुत से रत्न चमकीले।
परखते जौहरी देखें खिले जो लाल थे ढीले।
कहे विज्ञात आभारी करे आभार यूँ सबका।
हुआ साहित्य सम्मानित हुए दृग हर्ष से गीले।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
गाना आना जाना माना ( नीले पीले चमकीले गीले) और (जाती आती गाती पाती) जिनके उच्चारण में प्रवाह समान दिखें स्वर व्यंजन का भार समान हो और जो कविता की तुकबंदी को मधुर सरस तथा आकर्षण युक्त बनाते हैं। जैसे :-
उदाहरण -3
लज्जित करता है कागों को, कोयल का स्वर में गाना।
रूप समान मिला था किंतु, उसने अपना गुण जाना।।
कैद नही होती पिंजरे में, और न सहती तानों को।
हर्षित करता है हर मन को, उसका द्वारे पर आना।।
©नीतू ठाकुर 'विदुषी'
मध्यम तुकांत -
'मिलना उबलना निखरना मटकना' इस प्रकार की तुकबंदी में स्वर और व्यंजन का भार समान प्रवाह में नहीं होता। यहाँ पर केवल 'ना' की
मिलना-खिलना, उबलना-उछलना, निखरना-बिखरना, मटकना-झटकना, अब प्रारम्भ के तुकांत हम किसी रचना में देखेंगे तो निःसन्देह इन तुकांत में वो प्रवाह नहीं है जो उत्तम तुकांत में होता है। अब मस्तिष्क में प्रश्न पुनः उठता है कि मध्यम तुकांत और उत्तम तुकांत में अंतर क्या है और इसे कैसे समझें तो मैंने उत्तम तुकांत के योजक चिह्न के साथ युग्ल बनाने का प्रयास किया है इनके उच्चारण से स्पष्ट हो जाएगा कि मध्यम तुकांत और उत्तम तुकांत में क्या अंतर है समान प्रवाह जहाँ होगा वही उत्तम तुकांत कहा जायेगा। जैसे :-
उदाहरण -
झूठे मद ने सिखलाया था, बिना बात के नित्य उछलना।
खुशियों की थी आस मगर, निश्चित था दुख का गिरि पड़ना।।
कब मिलता है जो माँगे मन, हाथ पसारे अब विधिना से।
कर्मों की ज्वाला में तप कर, तय है यश का रूप निखरना।।
©नीतू ठाकुर 'विदुषी'
इन रचना में 3 पंक्तियों में तुकांत निभाये गए हैं तीनों पंक्तियों के तुकांत देखो और समझो
उछलना ...
पड़ना ...
निखरना ... इन तुकांत का प्रयोग रचना की दृष्टि से लय में गूंथा हुआ है अब स्वतंत्र रूप से इनका उच्चारण करके देखेंगे तो स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इनमें अअना तो कहीं अअअना का उच्चारण है और उच्चारण के आकर्षण की दृष्टि से देखें तो भी इनमें प्रयोग होने वाले ना से पूर्व के व्यंजन कुछ अखर रहे हैं तो इस अखरन को आप समझ सकते हैं जिस कारण इस प्रकार के तुकांत को मध्यम तुकांत की श्रेणी में रखा गया है।
अब जो इन दो तुकांत की श्रेणी से पृथक कोई तुकांत दिखे तो वह निम्न तुकांत होता है।
उदाहरण -
चार युगों की गाथा प्यारी।
वेद शास्त्र के मुख से उकरी।।
भक्ति भाव गंगा में डूबी।
मीरा जी हो गई बावरी।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
अब इन सबसे पृथक
अतुकांत को देखते और समझते हैं
अतुकांत कविता
अतुकांत कविता के अंतिम शब्दों की तुकबंदी पंक्तियों को क्रमानुसार ऊपर से नीचे देखेंगे तो ये पंक्तियाँ बिना तुक के होती हैं। अतुकांत शब्दों से निर्मित कविता में ध्वनियाँ परवर्तित होती रहती है। कविता लयबद्ध नहीं होती है। परन्तु ध्यान रहे बिम्ब या प्रतीक बदलते ही पंक्ति बदल जाती है। देखें इस उदाहरण को जो समझने में सहयोग करता है अतुकांत कविता को ...
"अतुकांत कविता सीधी सरल अभिव्यक्ति है जो एक भाव प्रवाह में बहती हुई पूर्णत्व को प्राप्त करती है बिना किसी नियमावली में बँधे।"
पाषाण
हाँ मैं
पाषाण हूँ
छेनी की धार
मार हथौड़ी की
प्रहार असंख्य सहता हूँ
खंड खण्डित
नित्य होकर
अपने ही तन से
अनगिनत टुकड़ों में
बँट जाता हूँ
जब मेरी पाषाणी चमड़ी
छिली जाती है
कितनी पीड़ा
मुझी में से
धूल के आँसू बन कर
उड़ती है
कौन समझता है
मेरा कष्ट ?
आकृति मूर्ति देखकर
तुम कहते हो
भगवान
हाँ मैं
पाषाण हूँ
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
तुकांत का महत्व:-
घेर रही है बिषय वासना
अब मैं यदि इस पंक्ति पर 4 तुकांत ढूँढना चाहूँ तो मुझे सार्थक तुकांत समझ नहीं आ रहा फाँसना एक सार्थक तुकांत है पर यह उत्तम नहीं बनता कारण अनुनासिका का प्रयोग मेरी पहली पंक्ति में नहीं है फिर मैंने घास ना पास ना आदि पर विचार किया उच्चारण की दृष्टि से पर लेखन में ये संयुक्त नहीं हैं तो मेरी रचना जिसे मैं उत्तम कृति के रुप में प्रस्तुत करना चाहता था उसमें इस प्रकार के तुकांत उत्तम नहीं हैं तो मुझे ये मध्य स्तर के दिखाई दिए। फिर मैंने थोड़ा सा बुद्धि पर और दबाव डाला तो मुझे कुछ सार्थक तुकांत दिखाई दिए डासना, ग्रासना, उपासना चासना, खासना पर इनसे भी मेरे कथन को कुछ नव्यता मिल सके और ये तुकांत सभी सार्थक तथा उत्तम लगें इसमें संदेह दिखाई दिया फिर शब्द कोष का सहारा लेना उचित समझा तो मैंने पाया कि ग्रासना उपासना तथा भासना कुछ सार्थक दिखे तो अब मैं आगे बढ़ने का निर्णय ले सकता हूँ
घेर रही है विषम वासना
लालच चाहे जिसे ग्रासना
खड़ी प्रतीक्षा में है भविता
करे कर्म की नित उपासना
अब इन मध्यम तुकांत के माध्यम पंक्तियाँ पृष्ठ पर उतर गई हैं मैंने मध्यम तुकांत क्यों कहा कारण यही है शिल्प की दृष्टि से मात्रा भार भले तीनों तुकांत सही प्रयोग हो गए हैं परंतु केवल तुकांत का प्रवाह देखें तो एक में आधा ग् तथा दूसरे में उ का होना प्रवाह में परिवर्तन कर रहा है। इस प्रकार से आप समझ सकते हैं कि रचना लिखने से पूर्व ही हमें तुकांत के विषय में मंथन कर लेना कितना आवश्यक है। इसके महत्व के विषय में आप स्वयं विवेक से निर्णय ले सकते हैं कि तुकांत उत्तम मध्यम या निम्न स्तर के प्रयोग करने हैं। "उत्तम रचना सदैव उत्तम तुकांत की अपेक्षा रखती है। जिसके प्रयोग से रचना के पाठन प्रवाह में विशेष आकर्षण प्राप्त होता है।"
तुकांत का मंथन करें सावधानी के साथ :-
अधिकांशतः देखा जाता है कि देश विदेश स्वदेश तुकांत लिख दिए रचना में और रचना पूरी परंतु ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे यह निम्न स्तर का तुकांत है इसमें तुकांत दोष है कारण सभी तुकांत में देश शब्द प्रयोग हुआ है अब इसे पूर्व का वर्ण पृथक नहीं है स्व वि - जबकि देश में आगे कोई वर्ण है ही नहीं तो इस प्रकार के तुकांत निम्न श्रेणी के तुकांत होते हैं।
अब हमें आवश्यकता है देश जैसे शब्द के तुकांत ले रहे हैं तो द बदला जाए जैसे परिवेश
अब ध्यान रहे कि भेष शेष जैसे तुकांत भी यहाँ निम्न तुकांत ही कहलाएंगे।
इस प्रकार रचना रचने से पूर्व ही हमें अपने तुकांत पर मंथन कर लेना अत्यंत आवश्यक है।
तुकांत कैसे निर्धारित करें तथा खोजें :-
लगभग तो मैं बता चुका हूँ कि तुकांत क्या है इसका महत्व क्या है मंथन क्यों अनिवार्य है सावधानी कैसे रखें इतना सब करलेने से जो तुकांत निकल कर आएंगे यही तुकांत की खोज का एक मात्र उत्तम मार्ग कहलाता है तुकांत की खोज का... भावों के कथन के अनुसार जो तुकांत आपकी रचना में सटीक बैठते हैं उसका निर्णय आपके द्वारा चयनित प्रतीक स्वयं कर देते हैं कि यह तुकांत मुझे चाहिये और मैं एक नूतन बिम्ब बना दूँगा।
सुंदर जानकारी गुरुदेव जी 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक जानकारी 👌🙏
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteतुकांत के विषय में बहुत ही रोचक जानकारी👌
आपकी हर पोस्ट बहुत ज्ञान वर्धक होती है। आज तुकांत के विषय में बहुत कुछ समझ में आया और उत्तम तुकांत कैसे लिखें यह भी...धन्यवाद 🙏
इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें ताकि हमारे लेखन में सुधार होता रहे 🙏
उत्तम व सराहनीय जानकारी
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी गुरुदेव जी, तुकांत के बारे में मार्गदर्शन किये , धन्यवाद सर जी
ReplyDeleteसर्वोत्तम जानकारी है ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी तुकांत के बारे में हमेशा की तरह सिखाने का ,समझाने का आपका प्रयास बना रहता है नमन वंदन गुरदेव आपको 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteअति उत्तम जानकारी गुरुवर ,आपका ज्ञान अपार है।जय हो,
ReplyDeleteतुकांत को लेकर सदैव ही मन में दुविधा सी बनी रहती थी, आपकी ये पोस्ट हर दुविधा को दूर करती है।इतनी महत्वपूर्ण जानकारी के लिये हार्दिक आभार आदरणीय! 🙏🙏👏👏👏💐💐💐
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