नवगीत
मुस्कुराते गीत मेरे
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी ~ 14/14
पंक्तियों से छंद झरते
मुस्कुराते गीत मेरे
एक बासंती लहर बन
नित थिरकते मीत मेरे।।
इक कमल दल से हृदय को
जब विरह यूँ तोड़ बैठे
तब सुगंधित पल बिखरते
स्मृति उसी की जोड़ बैठे
कुछ मचलते गुनगुनाते
ये अधर नवनीत मेरे।।
सप्त वारों ने सुनाए
कष्ट नव रस के उमड़ते
ऋतु छहों से व्यंजना के
भाव कुछ जम के उखड़ते
फाल्गुनी से कुछ सँवरते
स्वप्न पकते पीत मेरे।।
गूढ़ शब्दों सी कथा ने
वर्ण पाठन क्लिष्ट पहने
शुद्ध उच्चारण हठीले
नव्यता ने स्पष्ट पहने
कंठ में अटके भटकते
सुर करें भयभीत मेरे।।
सादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteआकर्षक बिम्ब और गूढ़ कथन 👌
शानदार सृजन की हार्दिक बधाई 💐💐💐
बहुत ही सुन्दर नवगीत 👌🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteनमन गुरु देव 🙏💐
बहुत सुंदर नवगीत , नमन गुरुदेव 🙏🌺🌺🌺🌺
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव गजब के है शानदार नवगीत गुरुदेव सादर प्रणाम
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना । नमन गुरुवर को ।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सुंदर अभिनव अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteगूढ़ शब्दों सी कथा ने
वर्ण पाठन क्लिष्ट पहने
शुद्ध उच्चारण हठीले
नव्यता ने स्पष्ट पहने
कंठ में अटके भटकते
सुर करें भयभीत मेरे।।
अप्रतिम, अभिराम।
बहुत सुंदर नवगीत आ.गुरुदेव विज्ञात जी नमन 🙏🏻
ReplyDeleteबहुत सूंदर रचना...💐💐💐
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना आ.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सटीक रचना । नमन गुरुदेव को
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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