गीत
अपना ये गणतंत्र पुकारे
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 16/14
अपना ये गणतंत्र पुकारे
राष्ट्र सुरक्षित रखना है
नित्य खिले केसर क्यारी सा
सुगठित पुलकित रखना है।।
माली अपने मुखिया अपने
सेवक बन प्रण लेते हैं
निर्भय रखते जन-मन को जो
निर्भयता नित देते हैं
पुष्प लदे ये प्रान्त सरीखे
बाग सुगंधित रखना है।।
बाँट चुके पंद्रह टुकड़े से
टुकड़े करना बंद करो
रोग मिटा कर अब मजहब का
शांत स्वभावी भाव भरो
नेह बने बूटी संजीवन
इसको चर्चित रखना है।।
सोचो ये गणतंत्र सफल हो
एक अमिट लिख दे गाथा
विश्व हुआ नतमस्तक टेके
इसके चरणों में माथा
श्रेष्ठ बना सब देखें भारत
जग को विस्मित रखना है।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
सादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लेखन 👌👌👌
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐
बहुत सुंदर रचना आदरणीय।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
उत्तम रचना आ. जय हिंद 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना I जय हिंद ��
ReplyDeleteदेशभक्ति से परिपूर्ण!
ReplyDeleteसार्थक शुभ्र भाव संजोए सुंदर गीत।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय।
बहुत ही शानदार गुरुदेव देश भक्ति रचना
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
देशभक्ति से ओत प्रोत सृजन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 27 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
अतिउत्तम भावपूर्ण देशभक्ति गीत
ReplyDeleteस्वस्थ सुंदर भावोंवाली सार्थक कविता। जय हिन्द। जय गणतंत्र।
ReplyDeleteराष्ट्रभक्ति के साथ वास्तविक गणतांत्रिक संदेश
ReplyDeleteसधुवाद सर
वाह!बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर व प्रेरणादायक रचना
ReplyDeleteनमन गुरु देव 🙏💐