निश्चल छंद आधारित गीत
संजय कौशिक 'विज्ञात'
निश्चल छंद एक सम मात्रिक छंद है जिसमें 16,7 पर यति के साथ 23 मात्रा के 4 चरण होते हैं। प्रति 2-2 पंक्ति के तुकांत सम तुकांत रहते हैं प्रति चरण का अंत गाल(21, गुरु लघु से किया जाता है। साधारण शब्दों में चौपाई का एक चरण 16 मात्रा + 7 मात्रा होती हैं अंत गाल
16,+7= 23 मात्रा चरणान्त गाल
तो आइये इसे उदाहरण से समझते हैं
निश्चल छंद आधारित गीत
संजय कौशिक 'विज्ञात'
एक पुराना वृक्ष खड़ा था,
घर में नीम।
जिसे गिरा कर भीत खींच दी,
सपने सीम॥
1
संबंधों में असर दिखाये,
मिटे बुखार।
एक लता की बात सुनो कह,
घटता प्यार॥
झड़ी हुई ढेरों निम्बोली,
का ये सार।
झाड़ दिये सब द्रुम पतझड़ ने,
कर व्यवहार॥
आँगन में सौ बार पड़े थे,
बिखरे ढीम.....
एक पुराना वृक्ष खड़ा था,
घर में नीम।
2
संदेश समीर बहे तो दे,
ध्वनि कर पात।
और आँधियों से बतियाता,
गरजे बात॥
अधिक ठण्ड में आँसू झरते,
नित्य प्रभात।
गर्मी लू में खड़ा रहा था,
सह दिन रात॥
पता बना था पूर्ण गाँव में,
बड़ा मुनीम.....
एक पुराना वृक्ष खड़ा था,
घर में नीम।
3
आज गिराया नीम जहाँ से,
गड्ढा खोद।
सौ-सौ बार गिरी बिजली थी,
मिटा प्रमोद॥
हास्य शोक में बदल पड़ा वो,
माँ की गोद।
अन्तस् मन की चर्चित चर्चा,
रिसता क्षोद॥
दहक उठा मन हुआ बावला,
जलता रीम.....
एक पुराना वृक्ष खड़ा था,
घर में नीम।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
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ReplyDeleteनिश्चल छंद की सुंदर जानकारी 👌👌👌 शानदार गीत 👏👏👏
ReplyDeleteआत्मीय आभार नीतू जी
Deleteबहुत ही सुन्दर अद्भुत छंद👌👌👌👌👌👌आपके माध्यम से हर रोज एक नवीन छंद की जानकारी मिल रही है।💐💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनुपमा जी
Deleteअति सुन्दर भावपूर्ण गीत रचना। , हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआत्मीय आभार विद्या भूषण जी
Deleteअद्भुत भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनिता जी
Deleteनिश्चल छंद की बहुत ही सुंदर जानकारी
ReplyDeleteआज गिराया नीम जहाँ से,
गड्ढा खोद।
सौ-सौ बार गिरी बिजली थी,
मिटा प्रमोद॥
आत्मीय आभार चमेली जी
Deleteवाह अद्भुत लेखन, एक और सुंदर छंद, वाह बेहतरीन रचना 👌👌💐
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनुराधा जी
Deleteअति उत्तम
ReplyDeleteआत्मीय आभार राधे जी
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ReplyDeleteबहुत खूब जी वाह वाह वाह
ReplyDeleteआत्मीय आभार राजन जी
Deleteवाह वाह सुंदर जानकारी अलग-अलग छंदों के बारे में बहुत खूब आदरणीय बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूनम जी
Deleteअति सुन्दर सर जी
ReplyDeleteआत्मीय आभार बोधन जी
Deleteबहुत खूब आद. वाह
ReplyDeleteआत्मीय आभार मुकेश जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआत्मीय आभार जी
Deleteहास्य शोक में बदल पड़ा वो, माँ की गोद।
ReplyDeleteउत्कृष्ट रुपक का परिदर्शन बोध हुआ। श्लाघनीय सर्जना। अशेष मंगलकामना परमात्मन!💐💐
आत्मीय आभार रामचंद्र प्रधान जी
Deleteअनुपम सृजन
ReplyDeleteआ.सर जी शुभकामनाएं 🙏
आत्मीय आभार सविता जी
Deleteसुन्दर छंद बेहतरीन सृजन आदरणीय👌👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार पूजा जी
Deleteसादर प्रणाम👌💐
ReplyDeleteसादर प्रणाम👌💐
ReplyDeleteवाह बहुत खूब आदरणीय
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