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Sunday, September 12, 2021

गीत : हिन्दी की शीतल छाया : संजय कौशिक 'विज्ञात'


गीत 
हिन्दी की शीतल छाया
संजय कौशिक 'विज्ञात'


मापनी -16/16 

संस्कृत ने जो पौधा सींचा 
उस हिन्दी की शीतल छाया।
हिन्दी भाषा पावन मधुकर
उत्तम अनुपम इसकी काया।।

वर्ण व्यवस्थित देव नागरी 
स्वर व्यंजन व्यापक उच्चारण
गद्य पद्य के सार मनोहर
अद्भुत शक्ति करे जो धारण
आज विश्व में डंका बजता
उच्च शिखर झण्डा लहराया।।


मेल जोल की परम्परा का 
लोकार्पण करके वर वरती
देश यहाँ जो भाषा बोले
उनको नित्य अभय भी करती
भाषाओं का श्रेष्ठ समागम
हिन्दी को हिय से अपनाया।।

वाक्य निखरते बिम्ब सँवरते
क्षेत्र सभी देते हैं सम्पुट
हिन्दी भाषा दृढ़ता पाती
सब भाषाएँ चाहें संस्फुट
राष्ट्र अखिल निर्माण करे यूँ
हिन्दी ने माँ रूप बनाया।।

©संजय कौशिक 'विज्ञात'

7 comments:

  1. वाह! बेहतरीन सृजन। हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई।

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  2. प्रणाम गुरुदेव बहुत सुंदर अद्भुत लेखनी नमन आपको 🙏🌹🌹

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  3. प्रणाम गुरुदेव अद्भुत लेखनी है बहुत सारी शुभकामनाएं शानदार🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌

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  4. बहुत सुंदर गुरुवर

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  5. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼🙏🙏

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  6. सुंदर सृजन...जय हिंद की हिंदी💐

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  7. उत्कृष्ट सृजन।
    सुबोध लालित्य लिए हिन्दी के सम्मान में सुंदर रचना।
    सादर।

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