नवगीत
प्रेम कहानी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी- 12/12
तोड़ी चट्टानों ने
सौगंध पुरानी सी
नदिया बहती आई
ले प्रेम कहानी सी।।
कल-कल ध्वनि शंख बजे
मंत्र मेघ उच्चारित
दग्धाग्नि मिटी तन की
पल हर्षितमय पारित
विधना की अनुपम कृति
बन रीत निभानी सी।।
धार लिए नव-यौवन
उभरी गंगा पावन
जटाजूट चट्टानें
बनी अटल मनभावन
बंधन के बंध बँधी
सब बंध छुड़ानी सी।।
चट्टानें सब घाटी
नाद अनहदी गाती
नद्य प्रवाहित पुलकित
आकर्षक तन पाती
ऋषि मुनि भी सम्मोहित
तप श्रेष्ठ करानी सी।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
सुंदर नवगीत 👌
ReplyDeleteशानदार बिम्ब ....शब्दशक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण 💐💐💐 नमन 🙏
अति उत्तम बिम्ब से सजी सुंदर नवगीत
ReplyDeleteसुंदर कोमल लालित्य बिखेरते बिंब ,अनुपम अभिराम नवगीत।
ReplyDeleteविधिना की अनुपम कृति👌👌
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रणाम गुरुदेव🙏🙏🙏🙏
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