गीत
मैं साधारण शान्त प्रिये
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी~16/14
क्लिष्ट छंद से भाव तुम्हारे
मैं कविता अतुकान्त प्रिये
अलंकार सी चमक तुम्हारी
मैं साधारण शान्त प्रिये।।
हिरण वनों की स्वर्णिम आभा
सृष्टि रचेता भ्रमित करे
दस-दस सिर भी मुग्ध हुए से
ठोस हुए को द्रवित करे
आकर्षण का केंद्र कहीं पर
कहीं चंद्र को बहकाया
शिक्षा के इस तेज पुंज से
काली को भी चमकाया
विस्तृत क्षेत्र सौरमण्डल तुम
मैं पिछड़ा सा प्रान्त प्रिये।।
और अप्सरा भरती पानी
रूप अनूप रहे अनुपम
स्वर्गलोक से झांक झरोखे
देव यथेष्ट कहे अनुपम
भ्रांति भ्रांति सौंदर्य निखरते
नखरों के छाए बादल
महक सदा ही लज्जित होती
विस्मित चकित कमल के दल
अन्य असीमित द्रव्य सँजोती
मैं मापक दृष्टांत प्रिये।।
नेत्र कटारी कोमल हिय के
बिम्ब चमकते मुख मण्डल
मोहन पाश निशाने साधे
जिनके भरे पड़े बण्डल
अधरों पर कुछ वाद्य यंत्र सुर
सम्मोहन के काज करें
कोयल मोर पपीहे लज्जित
टेर भरी आवाज करें
श्रेष्ठ निरक्षक तुम्हीं बनो अब
मैं बालक हूँ भ्रांत प्रिये।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
आफरीन आफरीन ....आफरीन .....
ReplyDeleteशब्द निशब्द श्वास निस्वास सा अर्थ भरे सब भाव लिखे अलंकारों यौवन की उदारता नख शिख हर संस्कार लिखे
मनई बनई चिडई उड़ रहा लफ्ज लफ्ज आचमन करे तिक्त पिपासा शान्त हों गईं ऐस सुन्दर काव्य सखे॥
रस अलंकार सब शोभित तुम मुक्ता का हार प्रिये
नयन तृप्त देख होते है तुम याचक की भीख प्रिये ॥
ड़ा इन्दिरा गुप्ता यथार्थ
वाह क्या कहने ...बहुत सुंदर 👌👌👌
ReplyDeleteतारीफ का यह अंदाज भी अद्भुत है 👏👏👏👏
शानदार बिम्ब, चमत्कृत शब्द और अलंकारों का सटीक प्रयोग ... सब कुछ बहुत ही सुंदर 💐💐💐💐
नमन आपकी लेखनी को 🙏🙏🙏
अद्भुत ,अनुपम 👏👏👏👏👏सादर नमन आदरणीय
ReplyDeleteसम्मोहन के काज करें
ReplyDeleteकोयल मोर पपीहे लज्जित
टेर भरी आवाज करें
श्रेष्ठ निरक्षक तुम्हीं बनो अब
मैं बालक हूँ भ्रांत प्रिये।।
क्या बात है संजय जी। हर तरह के भाव अलंकार से सुसज्जित रचना बहुत मनभावन है। हार्दिक शुभकामनाएं । 🙏🙏💐💐
सम्मोहन के काज करें
ReplyDeleteकोयल मोर पपीहे लज्जित
टेर भरी आवाज करें
श्रेष्ठ निरक्षक तुम्हीं बनो अब
मैं बालक हूँ भ्रांत प्रिये।।
क्या बात है संजय जी। हर तरह के भाव अलंकार से सुसज्जित रचना बहुत मनभावन है। हार्दिक शुभकामनाएं । 🙏🙏💐💐
गुरूदेव को नमन । एक एक बिम्ब मन में उतरते से लग रहे । भाव अलंकार । जादुई शब्दों का प्रयोग बार बार पढ़ने की इच्छा को बलवती कर रहा । बहुत सुन्दर नवगीत ।जितनी प्रशंसा की जाये कम ही है । पुनः बधाई शानदार नवगीत की ।
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