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Thursday, July 29, 2021

*गिरिजा छंद : शिल्प विधान : संजय कौशिक 'विज्ञात'




गिरिजा छंद 
शिल्प विधान
संजय कौशिक 'विज्ञात'


शिल्प विधान ~ १९ वर्ण प्रति चरण
चार चरण दो दो सम तुकांत
२,९,१९ वें वर्ण पर यति हो
मगण सगण मगण सगण सगण मगण लघु
२२,२ ११२ २२२, ११२  ११२ २२२  १



साथी, यूँ चलना ही होगा, अब तो बढ़ना होगा आज।
देखो, ये नदिया भी बोले, चल सिद्ध सधें सारे काज।।
जीते, जो अँधियारे को है, शिव भी रखते देखो भाल।
तारे, यूँ चमके प्यारे से, शशि हैं चलते प्यारी चाल।।


©संजय कौशिक 'विज्ञात'

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर सृजन गुरूदेव जी । प्रणाम

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  2. नमन गुरुदेव बहुत सुदंर रचना बहुत बधाई🙏🙏🙏🙏

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  3. सुंदर सृजन आदरणीय,नमन गुरुदेव हार्दिक बधाई आपको🙇🙇💐💐🙏🙏

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  4. बेहद खूबसूरत सृजन आदरणीय 👌👌 हार्दिक बधाई 💐💐

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  5. अति सुंदर आदरणीय

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  6. अति सुंदर सृजन आदरणीय🙏🙏🙏सादर नमन

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  7. नूतन छंद पर उत्कृष्ट सृजन।
    सुंदर शिल्प विधान ,सरस लय ।

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  8. गुरुदेव को प्रणाम 🙏
    बहुत सुंदर नूतन छंद में सरस लययुक्त रचना ❤️💐🙏

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  9. गुरुदेव को प्रणाम 🙏
    नूतन छंद में सरस लययुक्त रचना

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  10. प्रणाम गुरुदेव जी

    नूतन छंद को बहुत ही सरल शब्दों में और स्पष्ट वर्णन
    है गुरुदेव जी

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  11. शानदार सृजन गुरुदेव👌

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