गिरिजा छंद
शिल्प विधान
संजय कौशिक 'विज्ञात'
शिल्प विधान ~ १९ वर्ण प्रति चरण
चार चरण दो दो सम तुकांत
२,९,१९ वें वर्ण पर यति हो
मगण सगण मगण सगण सगण मगण लघु
२२,२ ११२ २२२, ११२ ११२ २२२ १
साथी, यूँ चलना ही होगा, अब तो बढ़ना होगा आज।
देखो, ये नदिया भी बोले, चल सिद्ध सधें सारे काज।।
जीते, जो अँधियारे को है, शिव भी रखते देखो भाल।
तारे, यूँ चमके प्यारे से, शशि हैं चलते प्यारी चाल।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत सुन्दर सृजन गुरूदेव जी । प्रणाम
ReplyDeleteनमन गुरुदेव बहुत सुदंर रचना बहुत बधाई🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteसुंदर सृजन आदरणीय,नमन गुरुदेव हार्दिक बधाई आपको🙇🙇💐💐🙏🙏
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत सृजन आदरणीय 👌👌 हार्दिक बधाई 💐💐
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteअति सुंदर आदरणीय
ReplyDeleteअति सुंदर सृजन आदरणीय🙏🙏🙏सादर नमन
ReplyDeleteनूतन छंद पर उत्कृष्ट सृजन।
ReplyDeleteसुंदर शिल्प विधान ,सरस लय ।
गुरुदेव को प्रणाम 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर नूतन छंद में सरस लययुक्त रचना ❤️💐🙏
गुरुदेव को प्रणाम 🙏
ReplyDeleteनूतन छंद में सरस लययुक्त रचना
प्रणाम गुरुदेव जी
ReplyDeleteनूतन छंद को बहुत ही सरल शब्दों में और स्पष्ट वर्णन
है गुरुदेव जी
शानदार सृजन गुरुदेव👌
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