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Saturday, July 10, 2021

नवगीत : पात्र हैं पावन : संजय कौशिक 'विज्ञात'



नवगीत 
पात्र हैं पावन 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी ~~ 11/14

ये चंद्र चातक से
कथा के पात्र हैं पावन
हर्षित करे हिय को
नचाये मोर ज्यूँ सावन।।

उर प्रीत मेघों की
लिए पृथ्वी सदा घूमे
इस सौरमण्डल के
भले तारे यहाँ झूमे
चूमे दिखे अम्बर
रहा वो दूर से छावन।।

सुर में पवन गाये
करे फिर वंदना इनकी
दिखती प्रतीकों में 
सुनी चर्चा यहाँ जिनकी
धुनकी अमर गाथा
छिड़े जब रागमय गावन।।

सरगम बनी वर्षा
मल्हारी राग पर नर्तन
फिर तालियाँ बजती
लगे यूँ हो रहा कीर्तन 
बर्तन करें स्वागत 
यही है ताल का आवन।।

©संजय कौशिक 'विज्ञात'

6 comments:

  1. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय गुरु देव 🙏💐 नमन 💐💐

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  2. संयोग और वियोग रस से परिपूर्ण श्रृंगार रस से पगी हुई नवगीत । प्रणाम आपको गुरूदेव जी

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  3. बहुत सुंदर,लाजवाब सृजन👌👌🙇🙇💐💐🙏🙏

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  4. बेहद खूबसूरत सृजन आदरणीय 👌👌

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  5. बहुत शानदार नवगीत आदरणीय!👌👌👌👌👏👏👏👏

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  6. बहुत ही शानदार

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