गीतिका लिखना सरल है।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी - 2122 2122 2122 212
गीतिका में छंद वार्णिक मापनी आधार हो।
शुद्ध सार्थक से कथन का भावमय आभार हो।।
कुछ अधूरा सा कथन कहना नहीं है पंक्ति में।
जब कथन हो स्पष्ट निखरे युग्म वो स्वीकार हो।।
दीर्घ लघु के वर्ण सारे रख चलो गिन गालगा।
शिल्प की ये ही कसौटी ध्यान ये हरबार हो।।
भाव यूँ ढलता दिखे आभूषणों की ज्यूँ ढलाई।
यूँ अलंकृत रस टपकता युग्म का शृंगार हो।
व्याकरण आदेश दे अनुपालना हो शिल्प की।
पंक्ति बस दो ही दिखें पर कुछ गहनमय सार हो।।
शीघ्रता की हड़बड़ी से नित खड़ी हों गड़बड़ी।
भाव मंथन के बिना कब कथ्य का परिहार हो।।
जानते पर कर रहे साधक मिलावट शब्द की।
शुद्ध भाषा से सदा साहित्य का उद्धार हो।
गीतिका लिखना सरल है और आकर्षक दिखे।
फिर जड़ाऊ युग्म खींचे मंच से उच्चार हो।।
दे चमक तुकांत उत्तम गीतिका विज्ञात की।
मोहिनी सी काव्य धारा मोड़ ले तैयार हो।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
सादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteगीतिका के माध्यम से गीतिका का शिल्प समझाने का सुंदर प्रयास 👌👌👌
बहुत बहुत आभार 🙏
सरलतम शब्दों से गीतिका लिखने का उत्तम मार्ग दिखाया है आपने।आ. नमन आपकी लेखनी को 🙏
ReplyDeleteगीतिका विधान का बहुत सुंदर, उपयोगी वर्णन
ReplyDeleteनमन गुरुदेव 🙏💐
सादर नमन आदरणीय
ReplyDeleteउपयोगी संदेश,आभार आपका
ReplyDeleteगीतिका के माध्यम से गीतिका लेखन का बहुत सुंदर और उपयोगी वर्णन 👌👌 हार्दिक आभार आदरणीय 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीतिका और साथ ही साथ गीतिका लिखने का तरीका भी। नमन गुरुदेव ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सूंदर तरीका गीतिका सिखाने के लिए ही गीतिका🙏🙏नमन गुरुदेव
ReplyDeleteअति सुंदर समझाने को इतनी सुंदर गीतिका लिखी है गुरुदेव धन्य हैं
ReplyDeleteइतनी सरलता एवं सहजता से हमें समझाने के लिए आपको कोटि कोटि नमन गुरुदेव 🙇💐🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत ही शानदार सृजन प्रणाम गुरुदेव
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteएक उत्कृष्ट गीतिका कैसे लिखें के सभी पहलुओं पर सुंदरता से प्रकाश डालती
ReplyDeleteसार्थक गीतिका।
अप्रतिम अभिनव।
बहुत सुंदर सृजन गुरुदेव को सादर नमन
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा जानकारी
ReplyDelete🙏🙏 नमन गुरुदेव