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Saturday, May 28, 2022

गीतिका : संजय कौशिक विज्ञात




*गीतिका*
मापनी - 2212122 2212122 

इक हाथ में तिरंगा जन-जन लिए चलेंगे।
जय घोष यूँ लगाकर जय हिंद भी कहेंगे।।

दृग लाल कर हिमालय सागर लहर दहाड़ें।
रिपु जब इन्हें सुने तब कम्पित हुए डरेंगे।।

सैनिक सभी हमारे हैं विश्व में प्रमाणित।
उस साख को बढ़ाते आगे सदा बढ़ेंगे।।

तन ओढ़ते तिरंगा ये श्रेष्ठ हैं हुतात्मा।
सच स्वप्न देश के नित योद्धा यही करेंगे।।

रक्षक दिखें निरंतर प्रहरी सजग हमारे।
यूँ शौर्य की उमंगे हिय शौर्य से भरेंगे।।

अम्बर झुका सकें सब साहस यही पुकारे।
बन भूमि का पुजापा नित पूज के चलेंगे।।

कौशिक ठहर समय की देखे घड़ी अचंभित।
शव आवरण हँसाकर उस आग में जलेंगे।।

©संजय कौशिक 'विज्ञात'

7 comments:

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  2. नमन गुरुदेव 🙏
    देशभक्ति से भरपूर शानदार गीतिका 💐💐💐💐

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  3. बेहद खूबसूरत रचना आदरणीय।

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  4. बहुत सुंदर सृजन
    राष्ट्र प्रेम से अभिभूत अनुकरणीय रचना
    नमन गुरु देव 🙏💐

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  5. बहुत सुंदर सृजन। नमन गुरु जी की लेखनी को।

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  6. बहुत सुंदर नमन गुरुदेव की लेखनी को

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  7. बहुत सुंदर रचना । गुरुदेव और लेखनी को नमन

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