हिन्दी गजल
सनातन चाय
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी 28/28
चाय का आनंद चुस्की मौन तो पानी भला है।
फिर अगर है मौन पीना पीर पी जिसने छला है।।
चाय पत्ती कष्ट वाली कुछ घृणा मीठा समझले
चुस्कियों पर चुस्कियाँ ले रोग ये भूलो बला है।।
क्रोध उबले जब निकलता दूध डालो शांति वाला
फिर उबाले पर उबाले नेह की ये भी कला है।।
देख ईर्ष्या मान छलनी छानती जो अवगुणों को
छान देती रस गुणी वो स्वाद बन अदरक चला है।।
मोह मोहक बन सुगंधित लौंग का ये फूल घुलकर
जो द्विषा लालच बिखेरे सोच ये किनसे टला है।।
लोभ प्याली एक कुनबा टूट कर बिखरे कभी क्यों
चाय पीते सब रहें बस लो पकौड़ा भी तला है।।
चुस्कियाँ विज्ञात लेता कर सनातन चाय निर्मित
द्वंद्व अन्तस् का विजेता इस जगत में नित फला है।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्रोध उबले जब निकलता दूध डालो शांति वाला
ReplyDeleteफिर उबाले पर उबाले नेह की ये भी कला है।।
बहुत सुंदर
नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteबहुत ही अद्भुत चाय 👌
लेखन की अनोखी शैली अत्यंत प्रेरणादायक है 💐💐💐
बहुत ही सुन्दर चाय की रेसिपी आदरणीय 🙏,
ReplyDeleteबहुत ही शानदार गुरुदेव की रचना अद्भुत लेखन प्रणाम आपको
ReplyDeleteवाह अद्भुत चाय👌👌👌👌 बेहतरीन सृजन आदरणीय।
ReplyDeleteवाह शानदार सनातन चाय 👌नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर, अद्भुत, अनुपम, अनुकरणीय रचना
ReplyDeleteनमन गुरु देव 🙏💐
प्रतीकात्मक बिंब से उबाली सनातन मानवीय मूल्यों की अद्भुत चाय।
ReplyDeleteहर कोई पी सकता है ऐसी चाय घर समाज और चाच की गुमटी लगा कर गाँव की चौपाल तक।
सरस भावों का अप्रतिम सृजन।
वाह बहुत बढ़िया और अद्भुत चाय । हम भी लेंगे चुस्कियां लेकर । आपकी लेखनी को और आपको शत शत नमन ।
ReplyDeleteलीक से हटकर, एक अनूठी सी, सुस्वादिष्ट चाय👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteअद्भुत अलौकिक चाय का आनंद लिया आज आपकी इस लेखनी द्वारा👌👌
ReplyDeleteवाह अद्भुत सृजन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteगुरुदेव द्वारा बहुत सुन्दर सृजन 👌👌🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन
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