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Monday, May 3, 2021

नवगीत : संकेत : संजय कौशिक 'विज्ञात'


नवगीत 
संकेत
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी ~ 16/14

एक काग की काँव काँव ने 
प्रियतम का संदेश दिया
कूद कूद कर मुंडेरी पर
प्रीत मिलन संकेत किया।।

हर्षित हिय का गूँजे कलरव
कोयल मधु ध्वनि गान करे
पंख खोल ज्यूँ तितली नाचे
दर्पण भी पहचान करे
शीतल बहती पुरवाई ने
आलिंगन सा पर्श लिया।।

चाव-चाव में करे रसोई
रोटी चकले पर मुड़ती
मस्त हुई वह खुशियाँ बाँटे
मटके लोई भी गुड़ती
इसका भी कहना है इतना
आएंगे सुन आज पिया।।

कह साड़ी का चढ़ता पल्लू
मिलना है उपहार तुम्हें
लाएंगे परदेस पिया अब
जाँचेंगे शृंगार तुम्हें 
छोंक कोपते गीत सुनाते
साँझ महकती केसरिया।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

6 comments:

  1. वाह!शानदार हृदयस्पर्शी नवगीत✍️✍️💐💐🙇🙇🙏🙏

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  2. क्या बात है । श्रृंगार का अतिरेक । बहुत ही सुन्दर सजे हुए नवगीत । बधाई गुरूदेव ।प्रणाम ।

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  3. क्या बात हैं अति सुदंर गुरुदेव नवगीत आपका कुछ हटकर कुछ अलग सा 🙏🙏🙏

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  4. सादर नमन गुरुदेव 🙏
    बहुत ही खूबसूरत नवगीत 👌👌👌
    अनोखे बिम्ब और लाजवाब कथन 💐💐💐💐

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  5. वाहहह आदरणीय ..बहुत बहुत बहुत सुंदर नवगीत..नवीन बिम्बों से सजा 👏👏👏👏👏

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  6. बहुत सुंदर भाव एवं अभिव्यक्ति आ0 गुरु देव 🙏

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