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Monday, August 10, 2020

चम्पकमाला छंद : संजय कौशिक 'विज्ञात'




चम्पकमाला छंद (वार्णिक छंद)
संजय कौशिक 'विज्ञात'

विधान~ {भगण मगण सगण+गुरु} 

{ 211  222 112  2 }
10 वर्ण, 4 चरण {दो-दो चरण समतुकांत} 
साधारणतया शिल्प समझने में यह मापनी ही पर्याप्त रहेगी। आइये उदाहरण के माध्यम से इसे समझते हैं...


देख तिरंगा सोच विचारे॥
लालकिला भी आज पुकारे।

ये किसने झण्डा फहराया।
कौन यहाँ है मानव आया॥

देख यहाँ थी खूब गुलामी।
और सदा थी झूठ सलामी॥

देश अभी आजाद हुआ है।
मानुष काँधे खास जुआ है॥

वो सदियों की शांत हिलोरें।
यूँ चमकी आँखें नम कोरें॥

पूछ रही दीवार यही क्यों। 
पीर सही जो पूर्व वही क्यों॥

खण्डित होता मौन दिखा है।
लालकिले पे कौन लिखा है? 

बाबर आका आज कहाँ हैं।
और नहीं अंग्रेज यहाँ हैं॥ 

ये फिर क्यों रोना दिखता है।
तंत्र प्रजा मोदी लिखता है॥

कौशिक मोदी जी फिर आये।
ये जनता देखो गुण गाये॥

संजय कौशिक 'विज्ञात'

2 comments:

  1. बहुत ही शानदार देशभक्ति में डूबा खूबसूरत नवगीत 👌
    ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं 💐💐💐

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  2. बहुत सुंदर रचना आदरणीय

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