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Friday, October 16, 2020

भूखी शिक्षा ; संजय कौशिक 'विज्ञात'


नवगीत
भूखी शिक्षा 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी 8/10 

भूखी शिक्षा
बैठ गई पढ़ने।।

तख्ती सूखी
उसे याद घड़ियाँ
घड़ी कलम से
लिख बारह खड़ियाँ
खत जब नाचा
चाव लगा बढ़ने।।

उज्ज्वल शिक्षित
शिक्षा भी हर्षित
गाँव - गाँव में 
चर्चा में चर्चित
प्रथम रही है
अंक लगे चढ़ने।।

गर्व सोचता
ये क्षण हैं अपने
पूर्ण हुए सब
सच में ये सपने
देख हँसी फिर
शिक्षा निज गढ़ने।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

17 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-10-2020) को     "शारदेय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ"  (चर्चा अंक-3858)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    शारदेय नवरात्र की 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  2. बेहतरीन नवगीत आदरणीय 👌👌

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  3. सुंदर सार्थक शिक्षा के सुखद परिणाम और अनुभूति बताता नवगीत ।
    बहुत सुंदर।

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  4. बहुत ही शानदार नवगीत आदरणीय गरूदेव 👌👌👌
    प्रेरणादायक,सुंदर सृजन 💐💐💐💐

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  5. सार्थक नवगीत । शिक्षा देती हुई ।

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  6. बहुत ही सुंदर सार्थक नवगीत✍️✍️💐💐😊🙏🙏

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  7. बहुत सुन्दर सार्थक नवगीत गुरुदेव

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  8. नए छन्द में सुंदर नवगीत

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना

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  10. भूखी शिक्षा बहुत सुंदर नवगीत

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  11. बहुत सुन्दर भाव परक नवगीत आदरणीय ।

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  12. बहुत सुन्दर

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  13. बहुत ही सुन्दर शानदार नवगीत

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