copyright

Saturday, June 20, 2020

योग दिवस : संजय कौशिक 'विज्ञात'


योग दिवस 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

अनन्द छंद

विधान~[ जगण रगण जगण रगण+लघु गुरु]
(121   212   121  212 12)
14 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]

करें प्रयोग योग जो रहें निरोग हैं ।
सहे वियोग लोग भोग संग रोग हैं ।।
 
न धारणा बिना शरीर साधना रहे ।
सुयोग ब्रह्मचर्य तेज ये बना रहे ।।

प्रसार खींच कीजिये न प्राण वायु का ।
विशेष तथ्य प्राण वायु सार आयु का ।।

प्रभात में प्रणाम सूर्य नित्य कीजिये ।
हँसें सदैव जोर से उमंग लीजिये ।।

शरीर स्वस्थ जो रहे सहस्र काम हों 
प्रमेह रक्त चाप और क्यों जुकाम हों

दिखो जवान हृष्ट पुष्ट वृद्धता न हो ।
लगे निखार आपके ललाट पे अहो!

अनंत चेतना सुझाव आत्म गूढ़ से । 
पढ़े लिखे न मानते जवाब रूढ़ से ।।

विशुद्ध योग मूल लक्ष्य ज्ञान मान लो ।
प्रभाव ध्यान से बढ़े बहाव जान लो ।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

9 comments:

  1. योग का जीवन में क्या महत्त्व है छंद द्वारा बतलाती सार्थक , उपयोगी पोस्ट।
    योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदरआदरणीय

    ReplyDelete
  3. बहुत शानदार आदरणीय योगी दिवस पर बहुत बहुत बधाई आपको

    ReplyDelete
  4. योग साधना के लिये प्रेरित करती शानदार रचना.....एक और नया छंद भी सीखने मिला👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌👌👌

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏🌹

    ReplyDelete
  6. अति मनोयोग से योग पर सुंदर छंद प्रयोग
    बहुत सुंदर गुरु जी

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर।
    योगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन रचना

    ReplyDelete