कहानी कैसे लिखें?
कहानी लेखन की संक्षिप्त जानकारी
– संजय कौशिक 'विज्ञात'
अच्छी कहानी लिखने के मुख्य सुझाव-
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पात्रों का विकास करें- चरित्र विकास किसी भी अच्छी कहानी का अभिन्न अंग है। पात्रों में गहराई होनी चाहिए ताकि पाठक अथवा दर्शक उनसे जुड़ सकें। चाचा चौधरी, साबू कॉमिक्स के इतने प्रसिद्ध होने का असली कारण यह है कि युवा पाठक उन पात्रों से जुड़ सकते हैं। लेखक जब अपनी कहानी लिखे तब उस कहानी में विद्यमान पात्रों को कुछ इस तरह से विकसित करे कि पाठक वर्ग अधिक से अधिक जुड़ सके इसके लिए अपने आस-पास के लोगों का निरीक्षण करे ताकि कहानी से जुड़े संबंधित पात्र को और अधिक निखारा जा सके उसके चरित्र को स्मरणीय बनाया जा सके ।
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घटनाओं के क्रम को ध्यान से चुनें - कहानी में घटनाओं के क्रम का बहुत महत्व होता है और कहानी के लगभग हर हिस्से पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, तीन तलाक से पीड़ित किसी महिला की कहानी है तो 2010 या 2000 से पूर्व की अवस्था पीड़िता के कष्ट की अनुभूति अलग होगी जबकि आज की कहानी उसकी कष्ट से मुक्ति की कहानी हो सकती है। इस प्रकार से कहानी अलग अलग हो जाती हैं। ऐसा इसलिए समय बदला हालात बदले और कहानी भी बदल गई। इसलिए कहानी पर घटनाक्रम का बहुत अधिक प्रभाव होता है।
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कहानी लिखने से पूर्व कथानक की रूपरेखा अवश्य तैयार करनी चाहिए। कहानी लिखने से पूर्व कथानक की रूपरेखा या कहानी का सार तैयार करना उत्तम कथानक के लिए सहयोगी सिद्ध होता है क्योंकि इससे कहानी में विचारों को जोड़ने में सहायता मिलती है और कहानी लिखना शुरू करने से पहले कथानक की कमियों के विषय में लेखक को स्पष्ट जानकारी मिल जाती है।
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कहानी में ऐसी बातचीत सम्मिलित करें जो पात्र के विचारों को प्रकट करके पात्र के व्यक्तित्व को और अधिक निखारे- पात्र के विचारों के विषय में बताने से कहानी रोचक बनती है और पाठक को पता चलता है कि पात्र को कैसे क्या और कहाँ से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है और यह कथानक को आगे बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होता है।
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कहानी की रूपरेखा को स्थापित करके और अधिक गतिशील बनाएं- पात्रों द्वारा सुनी गई ध्वनियों या उनके द्वारा देखे गए दृश्यों का वर्णन उन्हें उपयोगी बताते हुए, रूपरेखा को अधिक गतिशील बनाना चाहिए जिससे पाठक के लिए वह कहानी नूतन, ऊर्जावान तथा अधिक आकर्षक दिखे।
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अपनी कहानी लिखते समय ऐसी परिस्थितियां निर्मित करें जिनसे मुख्य पात्र को अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलना पड़े - जब किसी भी कहानी में इस प्रकार की परिस्थितियों का निर्माण होता है तब वह कहानी पाठक के लिए और अधिक रोचक बन जाती है क्योंकि ये परिस्थितियां पात्र के छिपे हुए गुणों को सामने ला सकती हैं जिन्हें समझाने की अपेक्षा कथनात्मक दृश्य अथवा कथनात्मक चलचित्र के माध्यम से सरलता से व्यक्त किया जा सकता है। जैसे रामायण में राम राज्याभिषेक के समय राज्य से 14 वर्ष का वनवास और राज्य भी किसी और को दे देना।
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कहानी का समापन ध्यान से चुनें- कहानी के समापन को कुछ इस प्रकार चुना जाना चाहिए जिससे वह समापन की शीघ्रता या लेखक की हड़बड़ी न लगे और पाठक वर्ग के अंतः करण को झकझोर दे तथा अपनी विशेष छाप छोड़े। अधिकतर सभी आकर्षक कहानियों का समापन एक भावनात्मक प्रतिक्रिया को उकसाते हुए आह वाह के क्षण से भरा हुआ होता है। इसलिए समापन बेढंगा अथवा कहानी से पृथक नहीं होना चाहिए।
कहानी लेखन में मुख्य सावधानी इस प्रकार से अवश्य रखें ...
क) सबसे पहले व्याकरण को ध्यान में रखें।
ख) सदैव छोटे और स्पष्ट शब्दों में ही लिखें।
ग) कहानी में नाटक, घटना, कथन आकर्षक होने चाहिए।
घ) कहानी लिखते समय कभी भी क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कहानी ऐसी होनी चाहिए
कुल मिलाकर स्मरण योग्य कहानी ऐसी होनी चाहिए जैसे विष्णु शर्मा की पंचतंत्र की कहानी आज भी सभी को स्मरण है। विभिन्न प्राणियों की जीवनी और दृष्टांतों के माध्यम से पंचतंत्र द्वारा बालकों को दिए जाने वाले नैतिक शिक्षा ज्ञान का अनूठा कहानी संग्रह है
इसी क्रम में भोज का राज सिंहासन विक्रमादित्य को मिला तो 32 शापित अप्सराओं की कहानी आज भी आकर्षण का विषय हैं। जिसके मुख्य लेखक कालीदास हुए हैं। जबकि इतिहासकारों द्वारा ढूंढी गई एक और पांडुलिपि में लेखक का नाम वररुचि लिखा है। इसी पुस्तक के जैन संस्करण के रचियता सिद्धसेन दिवाकर और क्षेमंकर मुनि हुए हैं।
अकबर-बीरबल और तेनाली राम की कहानियों का उद्देश्य मानव समाज को बौद्धिक एवं वैचारिक स्तर पर नव चेतना प्रवाहित करना रहा है ऐसे में लेखकों द्वारा अपने पात्रों को समस्या देकर उसके उचित समाधान के साथ समापन किया गया है। दशकों अथवा वर्षों पूर्व पढ़ी गई ये कहानियाँ आज भी पाठक वर्ग के मस्तिष्क पटल पर अपनी ताजगी इस प्रकार से स्थापित किए हुए हैं मानों पुस्तक अभी पढ़कर चाय की चुस्कियों के लिए विश्राम लिया हो।
किशोर अवस्था तक पहुंचते- पहुंचते वास्तविकता का भान पाठक के मन को मुंशी प्रेमचंद, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, भीष्म साहनी, सुदर्शन, जैनेंद्र, अज्ञेय, यशपाल, फणीश्वरनाथ रेणु, उषा प्रियंवदा, मन्नु भंडारी, ज्ञानरंजन, उदय प्रकाश, ओमप्रकाश बाल्मिकी आदि हिंदी कहानी कारों की कहानियों से जोड़ जाता है जो उसे समाज की वास्तविकता से परिचय कराती हैं। यह संसार काल्पनिक होकर भी काल्पनिक नही लगता क्योंकि प्रत्येक चरित्र समाज के किसी ना किसी वर्ग की परछाई है। बचपन हो या बुढ़ापा मनुष्य कभी भी कहानियों से पृथक नही रह सकता शायद इस लिए क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का जीवन एक कहानी ही तो है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाती है।
कहानियों के मुख्य प्रकार से परिचय
1
लोककथाओं में परीकथाएँ बहु प्रचलित रही हैं इन कहानियों के पात्र जादुई क्षमता के होते हैं जैसे परी, बौने, बौनों का टापू आदि
2
किंवदंतियाँ कहानी इनमें ऐतिहासिक घटनाएं होती हैं, जो ऐतिहासिक साक्ष्यों से दूर की कही जाती हैं इन कहानियों के सुर असुर मुख्य पात्र होते हैं जैसे समुद्र मंथन
3
मिथक किंवदंतियाँ ये देवताओं या नायकों के विषय में होती हैं। इन कहानियों में उत्पत्ति के विषय में पता चलता है जैसे कि पर्वत कैसे बने ? वर्षा कैसे होती है ? आदि आदि। मिथक कहानी में आम तौर पर सिखाने के लिए नैतिक शिक्षा होती है।
4
ऐतिहासिक कथा साहित्य एक प्रकार का उपन्यास है जो वास्तविक घटनाओं पर आधारित होता है
5
विज्ञान कथा उपन्यास ऐसी कहानियाँ हैं इनमें एलियंस या रोबोट शामिल हो सकते हैं, विज्ञान की कहानी निकट भविष्य को समझाने का प्रयास करती हैं।
6
जासूसी कहानियों में एक जासूस द्वारा उलझी हुई गुत्थी सुलझाई जाती है। पाठक वर्ग इस जासूस के साथ रहस्य को सुलझाने हेतु इन कहानियों को बड़े ध्यान से मन लगा कर पढ़ता है।
– संजय कौशिक 'विज्ञात'