*गीतिका*
मापनी - 2212122 2212122
इक हाथ में तिरंगा जन-जन लिए चलेंगे।
जय घोष यूँ लगाकर जय हिंद भी कहेंगे।।
दृग लाल कर हिमालय सागर लहर दहाड़ें।
रिपु जब इन्हें सुने तब कम्पित हुए डरेंगे।।
सैनिक सभी हमारे हैं विश्व में प्रमाणित।
उस साख को बढ़ाते आगे सदा बढ़ेंगे।।
तन ओढ़ते तिरंगा ये श्रेष्ठ हैं हुतात्मा।
सच स्वप्न देश के नित योद्धा यही करेंगे।।
रक्षक दिखें निरंतर प्रहरी सजग हमारे।
यूँ शौर्य की उमंगे हिय शौर्य से भरेंगे।।
अम्बर झुका सकें सब साहस यही पुकारे।
बन भूमि का पुजापा नित पूज के चलेंगे।।
कौशिक ठहर समय की देखे घड़ी अचंभित।
शव आवरण हँसाकर उस आग में जलेंगे।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
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ReplyDeleteनमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteदेशभक्ति से भरपूर शानदार गीतिका 💐💐💐💐
बेहद खूबसूरत रचना आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteराष्ट्र प्रेम से अभिभूत अनुकरणीय रचना
नमन गुरु देव 🙏💐
बहुत सुंदर सृजन। नमन गुरु जी की लेखनी को।
ReplyDeleteबहुत सुंदर नमन गुरुदेव की लेखनी को
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना । गुरुदेव और लेखनी को नमन
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