विज्ञात की कलम

छंदबद्ध लेखन एक कवि के लिए उतना ही आवश्यक है जितना दो तटों के मध्य बहती हुई सरिता के लिए उन दो तटों का होना होता है। मेरा मानना है कि कवि की कल्पना/यथार्थ की कविता जब निश्चित छंद में बंध कर उत्तम गेयता प्राप्त करके पाठक /श्रोता तक पहुँचती है तो वह अपने अलग ही चुम्बकीय आकर्षण से और भी अधिक असर कारक होती है... इस ब्लॉग की सभी रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक हैं। © विज्ञात की कलम

Thursday, June 26, 2025

यक्ष प्रश्न प्रतिबिंब का – डॉ. संजय कौशिक ’विज्ञात’

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यक्ष प्रश्न प्रतिबिंब का प्रतिबिंब प्रश्न करता ये मेरा  क्यों पैदा करने को आतुर थे। मौन हुई अंतस की गहराई क्षोभ हृदय के उत्कंठातुर थे ।। वंश...
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संजय कौशिक विज्ञात
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