Sunday, January 2, 2022

नवगीत : मुस्कुराते गीत मेरे : संजय कौशिक 'विज्ञात'

नवगीत 
मुस्कुराते गीत मेरे
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी ~ 14/14

पंक्तियों से छंद झरते 
मुस्कुराते गीत मेरे 
एक बासंती लहर बन
नित थिरकते मीत मेरे।।

इक कमल दल से हृदय को
जब विरह यूँ तोड़ बैठे
तब सुगंधित पल बिखरते
स्मृति उसी की जोड़ बैठे
कुछ मचलते गुनगुनाते 
ये अधर नवनीत मेरे।।

सप्त वारों ने सुनाए 
कष्ट नव रस के उमड़ते
ऋतु छहों से व्यंजना के 
भाव कुछ जम के उखड़ते
फाल्गुनी से कुछ सँवरते
स्वप्न पकते पीत मेरे।।

गूढ़ शब्दों सी कथा ने
वर्ण पाठन क्लिष्ट पहने
शुद्ध उच्चारण हठीले
नव्यता ने स्पष्ट पहने
कंठ में अटके भटकते
सुर करें भयभीत मेरे।।

©संजय कौशिक 'विज्ञात'

13 comments:

  1. सादर नमन गुरुदेव 🙏
    आकर्षक बिम्ब और गूढ़ कथन 👌
    शानदार सृजन की हार्दिक बधाई 💐💐💐

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  2. बहुत ही सुन्दर नवगीत 👌🙏

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  3. बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना
    नमन गुरु देव 🙏💐

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  4. बहुत सुंदर नवगीत , नमन गुरुदेव 🙏🌺🌺🌺🌺

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  5. बहुत ही सुन्दर भाव गजब के है शानदार नवगीत गुरुदेव सादर प्रणाम

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  6. बहुत सुंदर रचना । नमन गुरुवर को ।

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  7. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  8. सुंदर अभिनव अभिव्यक्ति।

    गूढ़ शब्दों सी कथा ने
    वर्ण पाठन क्लिष्ट पहने
    शुद्ध उच्चारण हठीले
    नव्यता ने स्पष्ट पहने
    कंठ में अटके भटकते
    सुर करें भयभीत मेरे।।

    अप्रतिम, अभिराम।

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  9. बहुत सुंदर नवगीत आ.गुरुदेव विज्ञात जी नमन 🙏🏻

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  10. बहुत सूंदर रचना...💐💐💐

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना आ.

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  12. बहुत सुंदर और सटीक रचना । नमन गुरुदेव को

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