Thursday, June 17, 2021

महाभुजंगप्रयात सवैया : शिल्प विधान : संजय कौशिक 'विज्ञात'

महाभुजंगप्रयात सवैया
शिल्प विधान
संजय कौशिक 'विज्ञात'


महाभुजंगप्रयात सवैया 24 वर्णों का छन्द कहा जाता है, यह छंद आठ यगणों (122) के द्वारा लिखा जाता है। इसे भुजंगप्रयात छंद का दुगुना छन्द कहा जाता है तभी इसका नाम महाभुजंगप्रयात छंद पड़ा है। इस छंद में 12, 12 वर्णों पर यति रखी जाती है।

मापनी ~~
122 122 122 122, 122 122 122 122



उदाहरण-1 

जहाँ आज दीवार देखी घरों में, मुझे लाज आई व आँखें झुकी हैं।
वहाँ शेष आशा निराशा दिखी है, नहीं खास बातें सभी जा चुकी हैं॥
जवानी करे जुल्म ऐसे यहाँ पे, बुढापा रहा देख सांसें रुकी हैं।
मरे मौत सौ सौ मरे भी नहीं हैं, बताएं सभी दोष ये कामुकी हैं॥ 

संजय कौशिक 'विज्ञात'



उदाहरण-2 

हुतात्मी कहानी भरे गर्व भारी, सिखाये करें देश से प्रेम प्यारा।
लगा भाल मिट्टी दिखे एक टीका, दिखाए बनाये वही दृश्य न्यारा।
तिरंगा लिए हाथ जै हिन्द बोलें, जिसे देख काँपे सदा विश्व सारा।
खड़ी मृत्यु भी देख रोती जहाँ है, दिखा शौर्य योद्धा बने शुद्ध तारा।

संजय कौशिक 'विज्ञात'



उदाहरण-3

लिखी पातियों ने पुकारा उसे यूँ, किनारा भला वे कहाँ से करेंगे।
मिलेंगे भले आज आके नहीं वो, वहीं दूर से आह  पक्का भरेंगे।
उन्हें याद आये जहाँ भी हमारी, बुरे स्वप्न में भी नहीं वे डरेंगे।
कहीं चित्र होगा छिपाया उन्होंने, कभी हाथ में ले कभी वे धरेंगे।

संजय कौशिक 'विज्ञात'




उदाहरण-4

कहें शारदे भक्त सारे तुम्हारे, तुम्ही ज्ञानदा माँ सुनोगी हमारी।
खड़ी द्वार पे भीड़ हैं लाख प्यासे, तुम्ही से बनेगी यहाँ बात सारी।
विधा काव्य शिक्षा हमें ज्ञान दे दो, लिखें छंद प्यारे कहें बात प्यारी।
तुम्हारा यशोगान गायें सदा ही, करें बंध ये मात जै जै तुम्हारी।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'




उदाहरण-5  

डले आज झूले मने पर्व प्यारा, कहें तीज आई सभी झूल झूलें।
बड़ी कौन छोटी उठा टेक प्यारी, वहाँ गीत गायें नहीं आज भूलें।
दिखे उच्च आकाश में पात शाखा, उन्हें झूलते झूलते देख छूलें।
सभी पर्व आनंद सा हर्ष देते, समाए नहीं गर्व यूँ सर्व फूलें।

संजय कौशिक विज्ञात' 



उदाहरण-6 

लगे भूख तो माँगते रोटियाँ हैं, कहो स्वर्ण चाँदी चबा कौन पाते।
बुझा प्यास देता सदा एक लोटा, भला सिंधु से कौन पानी पिलाते।
दिखे नग्न जो देह कुर्ता उसे दो, दिखे कौन आकाश ऐसे उढाते।
सदा ध्यान से देख के ये चलो जी, कहाँ सम्पदा आप सारी लुटाते।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

4 comments:

  1. बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी ।

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  2. बहुत सुंदर जानकारी👌👌🌹🌹

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  3. सुंदर जानकारी और उदाहरण गुरुदेव 🙏

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  4. कहो स्वर्ण चाँदी चबा कौन पाते।
    वाह बहुत ही सुन्दर जानकारी के साथ ही उत्कृष्ट उदाहरण से समझाये है आ. गुरुदेव जी

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