Saturday, May 22, 2021

गीतिका और युग्ल : संजय कौशिक 'विज्ञात'

गीतिका तथा युग्ल
संजय कौशिक 'विज्ञात'


युग्म ~ शे'र
दो पांक्तियों का समूह जैसे मुखड़ा। 
गीतिका ~ विशेष हिन्दी - गजल
जिसमें उर्दू भाषा का प्रयोग न किया जाता हो।
प्रवाह ~ रवानी
काव्यमयी वह बहाव जो आत्ममुग्ध करता हो। 
पद ~ मिसरा
एक पंक्ति।
पूर्व पद ~ मिसरा ऊला
 युग्म की प्रथम पंक्ति को पूर्व पद कहा जाता है।
पूरक पद ~ मिसरा सानी
द्वितीय पंक्ति 
युग्म (शे'र) की द्वितीय पंक्ति को पूरक पंक्ति कहा जाता है।
पदान्त ~ रदीफ़
यह समांत शब्द अथवा प्रथम युग्म/मुखड़ा की दोनो पंक्तियों के अंत में लिखा जाता है। 
समान्त ~ काफिया
वह शब्द जो युग्म (शे'र) की प्रत्येक द्वितीय पंक्ति में पदान्त से पूर्व आता है।
मुखड़ा ~ मतला
गीतिका / हिन्दी ग़ज़ल का प्रथम युग्म (पहला शेर) जिसकी दोनों पंक्तियों में समांत और पदान्त (काफ़िया और रदीफ़) समान लिखे जाते हैं। 
मनका ~ मक़ता
गीतिका / हिन्दी गजल का अंतिम युग्म/ शे'र जिसमें  रचनाकार का उपनाम लिखा हुआ होता है।
मापनी ~ बह्र (मात्राओं का निश्चित क्रम)
छंद की वह निश्चित लय जिस पर गीतिका / हिन्दी गजल लिखी जाती है।
स्वरक ~ रुक्न
गण आदि की सूक्ष्म पद्धति के मुख्य घटक स्वरक अथवा स्वरक (रुक्न) कहा जाता है। 
स्वरावली ~ अरकान
स्वरक का निश्चित अंतराल के पश्चात पुनः प्रयोग से निर्मित मापनी या स्वरक के बहुवचन को स्वरावली (अरकान) कहा जाता है
मात्रा भार ~ वज़्न
किसी शब्द के मात्रा क्रम (संख्या) को मात्रा भार कहा जाता है 
कलन ~ तख्तीअ
मात्रा गणना की वह पद्धति जिसमें जो निर्णय करती है कि मात्रा भार समान अंतराल के पश्चात आये।
मौलिक मापनी ~ सालिम बह्र
वह मापनी जिसके मूल स्वरूप को ज्यों का त्यों लिया गया हो।
मिश्रित मापनी ~ मुरक्कब बह्र
वह मापनी जो दो मूल छंद की मापनी के मिश्रण से बनी हो उसे मिश्रित मापनी कहा जायेगा।
अपदान्त गीतिका ~ ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल
जिस गीतिका (हिन्दी गजल में पदान्त (रदीफ़) न हो उसे अपदान्त गीतिका कहते हैं 
अकार योग ~ अलिफ़ वस्ल
दो शब्दों की मात्रा को जोड़कर पढ़ने से होने वाले परिवर्तन को अकार योग कहते हैं 
पुच्छ लोप ~ पद के अंतिम लघु का लोप
मात्रा गिराने की प्रक्रिया को पुच्छ लोप कहते हैं 
धारावाही गीतिका ~ मुसल्सल ग़ज़ल
जिस गीतिका (हिन्दी ग़ज़ल) के प्रत्येक युग्म (शे'र) का विषय अलग - अलग होता है 
गीतिकाभास ~ ग़ज़लियत
चयनित प्रतीक और बिम्ब के माध्यम कहन श्रेष्ठ हो, अगर ये न हों तो कथन सच्चा और कड़ुवा हो जिससे श्रोता को लगे कि तुझ पर कहा है 
निष्कर्ष :- सबको अपने ऊपर आता दिखे वह युग्ल श्रेष्ठ होता है।
समान्ताभास ~ ईता
यह काफिये का दोष होता है जिसमें 2 ऐसे शब्द जो सानुप्रास न हों उन्हें बढ़ाकर काफ़िया बनाना 
वचनदोष ~ शुतुर्गुर्बा
एक ही शे'र / युग्म में जब दो सम्बोधन जैसे आप और तुम दिए जाएं तो यह शुतुर्गुर्बा / वचन दोष कहलाता है
पदान्त समता दोष ~ एबे-तकाबुले-रदीफ़
प्रथम युग्म (मतले) से पृथक पदान्त के अंतिम स्वर प्रथम पंक्ति में लग जाएं तो यह दोष उत्पन्न हो जाता है।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

9 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (23-05-2021 ) को 'यह बेमौसम बारिश भली लग रही है जलते मौसम में' (चर्चा अंक 4074) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट , सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी हर हिंदी ग़ज़ल गीतिका लिखने वालों के लिए उपयोगी जानकारी।
    बहुत बहुत सुंदर।

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  3. बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी गुरुदेव 🙏

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  4. अति उत्तम जानकारी आ0 गुरुदेव

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  5. बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी गुरुदेव सादर प्रणाम🙏🙏🙏🙏👌👌👌

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  6. ज्ञान वर्धक जानकारी🙏👌👌👌👌👌👌

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  7. बहुत ही उपयोगी जानकारी
    नमन गुरु देव 🙏💐

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  8. बहुत उपयोगी जानकारी है।
    नमन गुरुवर 🙏💐

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  9. बहुत महत्वपूर्ण,ज्ञानवर्धक जानकारी
    अब गीतिकासमझने व लिखने में बहुत सुविधा होगी।

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