Monday, April 20, 2020

गीत : ॐ निनाद : संजय कौशिक 'विज्ञात'


नवगीत 
ॐ निनाद 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी 16/16

ॐ निनाद में शून्य सनातन 
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।।
सत्य विवादित तूल दृष्टि से 
उच्च बोध दे शिव ही माहित।।

1
प्रात साँझ विज्ञात शिवम् सम 
आदि शक्ति कर वर्णन कहते।
कमल नालमय ब्रह्मा निर्मित
अग्रिम हर मन्वन्तर रहते।।
चतुर्युगी संरचना बनती
तत्व प्रतिष्ठित एक हिताहित।

2
तीन लोक कल्याणी माया
पंचाक्षरमय शोभित शोधित
नित्य निरन्तर काल जपित ये
धरणी पर होती अवरोधित
साक्ष्य गुरुत्वाकर्षित अक्षर
उर्मि सिंधु से नित ही वाहित

3
किंचित लेश मात्र भी विचलित
दृश्य नहीं जो करते धारण
जन्म मृत्यु भय मुक्ति युक्ति ये
पार करे सहयोगी तारण 
और उभारण हार नाद ये
रोम-रोम में शिवम् प्रवाहित

संजय कौशिक 'विज्ञात'

11 comments:

  1. सादर नमन आदरणीय 🙏🙏🙏
    शानदार सृजन 👌🏻👌🏻👌🏻 बहुत ही विचारणीय नवगीत ...निःशब्द करता सृजन ....ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐💐

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  2. अनुपम रचना। बहुत ही सुन्दर।नमन आपकी लेखनी को।

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  3. अप्रतिम रचना

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  4. बहुत सुंदर आदरणीय सुन्दर रचना नमन आपकी लेखनी को

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  5. उत्कृष्ट रचना

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  6. जय हो, शानदार सृजन

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  7. बहुत सुंदर पावन ऋचा सा सृजन ।

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  8. वाह अदभुत अविस्मरणीय लेखन अप्रतिम
    👏👏👏👏👏👏👏👏👏
    रोम रोम में शिवा प्रवाहित
    अदभुत निखण्ड सा भाव
    खण्ड खण्ड में व्याप्त हैं
    अमरत्व का ये प्रभाव ।

    डॉ़ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ

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  9. बहुत सुंदर गीत प्रेरणादायक

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